आखिर कनाडा में भारतीयों का बस जाना इतना आसान क्यों है
अधिकतर तौर पर अपने सुना होगा की ज्यादातर भारतीय कनाडा में रस बस जाते है. वो वहां के नागरिकता कानून को फॉलो करते है.आपको ये जानकर हैरानी होगी की कनाडा की कुल आबादी में भारतीय प्रवासियों का हिस्सा करीब 6-7 फीसदी है. खास बात है कि कई अन्य देशों के मुकाबले कनाडा में भारतीयों का सेटल हो जाना ज्यादा आसान है. लेकिन आखिर ऐसा क्यों है क्यों किसी और देश में रहने बसने से ज्यादा आसान है कनाडा में रहना, इसके पीछे कई कारण हैं. आइए जानते हैं कि अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन की तुलना में कनाडा में भारतीयों को सेटल होना इतना आसान क्यों है?
विशेषज्ञों के मुताबिक, अमेरिका या अन्य देशों की तुलना में कनाडा की ओर भारतीयों का आकर्षण का मुख्य कारण रोजगार-आधारित ग्रीन कार्ड या परमामेंट रेसिडेंसी जारी करने का प्रति कंट्री कोटा है. अप्रवासियों को देश में बसाने के लिए कनाडा अभी भी पुरानी वीजा नीति H-1B अपनाए हुए है.इसके अलावा कनाडा सभी कुशल विदेशी कामगारों की पत्नी या पति को भी देश में काम करने की अनुमति देता है. कनाडा की यह पॉलिसी प्रवासियों, खासकर भारतीयों के बीच काफी लोकप्रिय है. दूसरी ओर कनाडा सरकार ने ग्लोबल टैलेंट को आकर्षित करने के लिए वर्क वीजा और ग्रीन कार्ड वीजा को काफी आसान बना दिया है.
नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी के अध्ययन के मुताबिक, H-1B वीजा धारकों के पति-पत्नी को काम करने की अनुमति भारतीयों को प्रोत्साहित करता है.कनाडा की इमिग्रेशन पॉलिसी जहां कुशल श्रमिकों को सीधे स्थायी निवासी के लिए आवेदन करने की अनुमति देता है. वहीं, अमेरिका जैसे देशों में वीजा के लिए भारतीयों को दशकों तक इंतजार करना पड़ता है.कनाडा की इमिग्रेशन पॉलिसी की खास बात यह है कि स्थायी निवासी का वीजा मिलने के तुरंत बाद व्यक्ति को कहीं भी रहने और काम करने का अधिकार मिल जाता है. इसके अलावा व्यक्ति कनाडा में उपलब्ध सभी यूनिवर्सल हेल्थ सर्विस और सोशल सर्विस का लाभ ले सकता है.
पॉइंट बेस्ड इमिग्रेशन मॉडल
अपने लचीले इमिग्रेशन पॉलिसी के कारण द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से ही कनाडा विदेशी श्रमिकों को आकर्षित करता रहा है. कनाडा सरकार ने अपनी अर्थव्यवस्था को पुननिर्माण करने के लिए सबसे पहले 1947 में पहली बार इमिग्रेशन पॉलिसी में बदलाव किया था. बाद में कनाडा सरकार ने 1960 के दशक में पॉइंट बेस्ड इमिग्रेशन पॉलिसी लॉन्च किया.पॉइंट बेस्ड इमिग्रेशन मॉडल लाने वाला कनाडा पहला देश था. यह अंक भाषा और उम्र के समेत कई मानकों पर तय होती हैं. जैसे अगर आपकी उम्र 35 या उससे कम है तो उसके कुछ अंक और 35 से ज्यादा के कुछ अंक. उसी तरह भाषा पर भी अंक मिलते हैं.अगर कोई रिलेटिव पहले से ही कनाडा में रह होता है, तो उसके भी अंक मिलते हैं. और इस तरह सबसे अधिक पॉइंट पाने वाले व्यक्ति को कनाडा का स्थायी निवासी बनने का मौका दिया जाता है. तीन साल तक कनाडा में स्थायी निवास के बाद व्यक्ति वहां की नागरिकता पाने के लिए आवेदन कर सकता है
क्षेत्रफल के हिसाब से कनाडा दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है. लेकिन आबादी के हिसाब से यह 39 वें स्थान पर है. कम आबादी और न्यूनतम बेरोजगारी दर होने की वजह से कनाडा अप्रवासियों को आकर्षित करता है.कनाडा की सरकारी डेटा एजेंसी स्टेटकैन के अनुसार, 2022 में अप्रवासियों और अस्थायी निवासियों के कारण कनाडा की जनसंख्या में 10 लाख लोगों की रिकॉर्ड वृद्धि हुई है. 10 लाख लोगों में से लगभग 4 लाख 31 हजार लोगों को स्थायी निवासी के तौर पर वीजा दिया गया है.