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हाईकोर्ट ने असम से लाने की अनुमति तो दी, पर शर्तों से विभाग का बढ़ गया टेंशन..

रायपुर/बिलासपुर वन भैसा को असम से लाने की रोक हाईकोर्ट की डबल बेंच ने हटा ली है। जेनेटिक विविधता के कारण असम से लाए जाने वाले चार वन भैंसों के लाए जाने पर लगी रोक को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति संजय के अग्रवाल की युगल पीठ के आदेश 10 अप्रैल के बाद, वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की नई रिपोर्ट और असम सरकार द्वारा लगाई गई शर्तों के पालन के साथ अब हट गई है।

क्या है मामला

दरअसल छत्तीसगढ़ वन विभाग ने अप्रैल 2020 से, असम के मानस टाइगर रिज़र्व से एक नर और एक मादा सबएडल्ट वन भैंसा पकड़कर छत्तीसगढ़ लाकर बारनवापारा अभ्यारण में रखा हुआ है। जबकि भारत सरकार और छत्तीसगढ़ शासन ने इन्हें जंगल में छोड़े जाने की शर्त के साथ असम से लाने की अनुमति दी थी। इसी के साथ राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने असम के वन भैंसों के लिए छत्तीसगढ़ के जंगल इकोलॉजिकली सूटेबल है कि नहीं यह जांच कर रिपोर्ट मांगी थी, यह रिपोर्ट प्राधिकरण ने आसाम वन विभाग से मांगी गई थी।

छत्तीसगढ़ वन विभाग ने असम से लाए गए वन भैंसा को आजीवन बाड़े में रखकर, उदंती सीतानदी अभ्यारण के बाड़े में रखे गए वन भैंसा से क्रॉस कराकर होने वाली पहली पीढ़ी और दूसरी पीढ़ी को जंगल में छोड़े जाने का प्लान बनाया था।

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