छत्तीसगढ़

किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है ये पत्तियां, चमत्कार देख वैज्ञानिक भी हैं हैरान …

हम अक्सर किसी भी बीमारी पर दवाइयां खा लेते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे भारत में कई सारी ऐसी वनस्पतियां हैं जिनके सेवन से हमारे शरीर को नुक्सान भी नहीं होता और ये बीमारियों को जड़ से ख़त्म करने की क्षमता भी रखता है। ऐसी है एक पत्ती है कालमेघ जिसके सेवन से कई सारी बीमारियों का खात्मा हो जाता है।

जडी बुटी मामले में कालमेघ एक आयुर्वेदिक चिकित्सा के पद्धती से काम करती है। इस का स्वाद कडवा होता है। कालमेघ का चूर्ण पानी के साथ लिया जा सकता है। इसकी पत्तियों के रस का सेवन किया जा सकता है। पत्तियो का पेस्ट बनाकर जख्म पर लगाया जा सकता है।

कालमेघ वनस्पती में एंटी-डायबेटिक गुण पाए जाते है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार कालमेघ का अर्क सेवन करणे से डायबेटीज को कंट्रोल किया जा सकता है। इसलिये अगर आपको कही कालमेघ नजर आता है तो डायबिटिक मरीज को इसका सेवन कराए।

कैंसर जैसी खतरनाक बिमारी के जोखिम से बचने के लिये कालमेघ का इस्तमाल कर सकते है। क्योंकि इसमें एंटी-कैंसर गुण पाया जाता है। इसके अलावा इस वनस्पती में एंड्रोग्राफोलाइड, बायोएक्टिव पाया जाता है। स्तन कैंसर, फेफड़ों का कैंसर सहित अन्य कैंसर से बचने का काम कालमेघ कर सकता है।

अगर किसी का घाव ज्यादा गहरा है एैसे मरीज को कालमेघ वनस्पती की पेस्ट बनाकर घाव पर लगाये और कालमेघ वनस्पती के पत्तो का रस पीने से घाव जल्दी भरता है।

गैस और एसिडीटी से अगर कोई हमेशा परेशान रहते हैं तो एैसे मरीज को कालमेघ वनस्पती के पत्तो का रस पानी में मिलाकर पीने से गैस और एसिडीटी में लाभ मिलता है। बुखार से अगर कोई परेशान है तो एैसे व्यक्ति को दो दो चमच दिन में तीन बार पिलाने से बुखार कम होता है।

अकसर बच्चो के पेट में कीड़े बनते है, इसकी वजह से बच्चो के पेट में दर्द होता है। एैसे समय कालमेघ का रस दो चमच, एक चमच हल्दी पावडर और आधा चम्मच शक्कर मिलाकर बच्चो को पिलाने से पेट के कीड़े मर जाते है और बच्चा तंदुरुस्त बनता है।

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