कोरबा

विधायक जी की गजब दबंगई- पहले करोड़ो का मुआवजा लिया….फिर राइस मिल भी नही

कोरबा । विकास की राह पर राजनीति कैसे रोढ़े अटहाती हैं, इसकी बानगी अगर देखनी हैं, तो कोरबा चले आइये। जीं हां एक ओर केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी द्वारा साल 2025 तक देशभर की अधिकांश सड़को को बेहतर बनाने का दावा किया जा रहा हैं। वहीं दूसरी तरफ छत्तीसढ़ के कोरबा में उन्ही के पार्टी के विधायक नेशनल हाइवे के निर्माण कार्य का विरोध कर रहे हैं। जीं हां यहां के पूर्व गृहमंत्री और वर्तमान विधायक ननकीराम कंवर ने एन.एच. में आ रही अपनी राइस मिल का 6 महीने पहले ही करोड़ों रूपये का मुआवजा ले लिया। लेकिन अब चुनावी साल हैं, तो इसी विकास की राह पर रोढ़ा अटका कर माननीय राजनीति करने से भी गुरेज नही कर रहे हैं। कम मुआवजा दिये जाने की बात को लेकर विधायक जी फोरलेन सड़क का ना केवल विरोध कर रहे हैं, बल्कि तहसीलदार और ठेका कंपनी के लोगों को धमका भी रहे हैं। जिसका विडियों सोशल मीडिया में अब जमकर वायरल हो रहा हैं।

गौरतलब हैं कि सारागांव-चांपा से कोरबा जिला के बरबसपुर बाईपास तक नेशनल हाइवे 149बी पर फोरलेन सड़क का निर्माण कार्य किया जा रहा हैं। बताया जा रहा हैं कि 38.200 किलोमीटर बनने वाले इस सड़क के चौड़ीकरण की जद में आने वाली भूमि अधिग्रहण की प्रकिया 2020 में ही पूरी कर ली गयी थी। सड़क चौड़ीकरणसे प्रभावित होने वाले लोगों का मुआवजा तैयार कर अधिकांश लोगों का मुआवजा वितरण कर ठेका कंपनी द्वारा करीब 30 किलोमीटर का सड़क तैयार कर चुकी हैं। लेकिन शेष बचे 8 किलोमीटर सड़क का काम पिछले 8 महीनों से शुरू ही नही हो सका हैं। कारण जानने पर पता चला कि स्थानीय जनप्रतिनिधि और कुछ व्यापारियों द्वारा कम मुआवजा बनने की बात कहकर सड़क चौड़ीकरण का लगातार विरोध किया जा रहा हैं। हाल ही के दिनों की बात हैं इस विरोध प्रदर्शन को रामपुर विधायक और पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने अपना समर्थन देते हुए चक्काजाम कर विरोध प्रदर्शन किया गया।

ननकीराम कंवर का सीधा आरोप हैं कि सड़क निर्माण कर रही ठेका कंपनी दबंगई कर लोगों के घर और मकान तोड़ रहे हैं। वही दूसरी तरफ धरना स्थल का एक विडियों सोशल मीडिया में अब वायरल हो रहा हैं, जिसमें विधायक जी खुद प्रशासनिक अफसरों के साथ दबंगई करते नजर आ रहे हैं। बताया जा रहा हैं कि पिछले दिनों हुए चक्काजाम के बाद जब वस्तुस्थिति स्पष्ट करने तहसीलदार मुकेश देवांगन धरनास्थल पर पहुंचे थे। तहसीलदार अपनी बात रख रहे थे, तभी विधायक ननकीराम कंवर और नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष हितानंद अग्रवाल तहसीलदार पर हावी होते नजर आये। विडियों में देखा जा सकता हैं कि किस तरह दोनों नेता आम जनता के सामने ही तहसीलदार के साथ बदसलूकी कर रहे हैं। इस पूरे मामले पर एनएचएआई के अफसरों से जानकारी चाही गयी, तो उन्होने बताया कि निर्माणाधीन फोरलेन में विधायक ननकीराम कंवर के राइस मिल की जमीन का भी अधिग्रहण किया गया हैं।

इसके एवज में विधायक जी को 2 करोड़ 34 लाख 67 हजार 324 रूपये का मुआवजा भुगतान 6 महीने पहले ही कर दिया गया। लेकिन मुआवजा लेने के 6 महीने बाद भी विधायक द्वारा राइस मिल की अधिग्रहित जमीन से कब्जा हटाने पर आपत्ति जतायी जा रही हैं। इसके साथ ही अब बरपाली के ग्रामीणों को भी बरगालाकर सड़क निर्माण के विरोध में माहौल खराब किया जा रहा है। एनएचएआई प्रोजेक्ट के डायरेक्टर डीडी पार्लावार का कहना है कि विधिवत फॉर्म भरकर कई लोगों ने मुआवजा लिया है। जिनका पारिवारिक विवाद है, उनके घर के लोगों ने ही नहीं लिया है। जबकि ऐसे लोगों को कई बार नोटिस दी जा चुकी है। दूसरी तरफ कई ऐसे भी लोग हैं जो मुआवजा लेने के बाद भी निर्माण नहीं हटा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ जब इस पूरे मामले पर ननकीराम कंवर का पक्ष मीडिया ने जानना चाहा तो उन्होने बाजार मूल्य से चार गुना मुआवजा मिलने की बात कहते हुए मुआवजा कम देने की बात कही।

ननकीराम ने मुआवजा प्रकरण का कोर्ट में चुनौती देने की बात कहा हैं। वही मुआवजा लेने के बाद भी राइस मिल की जमीन खाली नही करने के सवाल पर विधायक ने कहा कि हफ्तेभर में राइस मिल के मशीन खोलकर हटा लिये जायेंगे। खैर छत्तीसगढ़ में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में कांग्रेस और भाजपा अपने-अपने तरीके से मुद्दो को भुनाने में लगी हैं। एक ओर छत्तीसगढ़ पहुंचने वाले बीजेपी के केंद्रीय मंत्री जहां प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार पर केंद्र से दिये जाने वाले पैसों का हवाला देकर प्रदेश सरकार की नाकामियों को गिनाने में लगी हुई हैं, तो वही दूसरी ओर केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी सड़क परियोजना पर रोढ़ा अटकाकर उन्ही के पार्टी के विधायक मुआवजा के नाम पर विरोध कर रहे हैं। खैर अब ये देखने वाली बात होगी कि चांपा से कोरबा तक जिस फोरलेन सड़क को 30 अक्टूबर 2023 तक कम्पलीट होना था, वो अब किसी भी सूरत में समय पर पूरा होता नजर नही आ रहा हैं। ऐसे में चुनावी साल में विकास की राह पर आगे भी रोढ़ा अटकाये जाते रहेंगे या फिर हाईकमान इस मामले में केाई एक्शन लेगा, ये तो आने वाला वक्त ही बतायेगा।

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