रिपोर्टर: रवि कुमार तिवारी।
Raipur छत्तीसगढ़ में विधायकों की मौत का पंचक लग चुका है ! ऐसा लिखते हुए बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा, लेकिन 2018 से लेकर 2023 तक अब तक जो काल बीता है वो चुनाव जीतकर विधानसभा तक पहुँचने वाले 5 विधायकों के परिवार वालों के लिए अच्छा नहीं रहा है. 2019 से 2023 में अब तक छत्तीसगढ़ ने अपने 5 लोकप्रिय विधायकों को खो दिया है. हर साल एक विधायक की जान गई है. छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिहाज से भी शायद यह एक दुःखद रिकॉर्ड की तरह है
छत्तीसगढ़ में नवंबर 2018 में विधानसभा का चुनाव सपन्न हुआ था. दिसंबर में परिणाम आ गया था. कांग्रेस एक तिहाई से अधिक सीटें जीतकर इतिहास रच चुकी थी. बस्तर से लेकर सरगुजा तक भाजपा का सफाया करते हुए कांग्रेस सत्ता में 15 साल बाद लौटी थी. सत्ता विरोधी लहर के बीच भाजपा तब 15 सीटों में सिमट गई थी. इन 15 में से एक सीट बस्तर से एक मात्र दंतेवाड़ा की थी, लेकिन यह सीट भी भाजपा के पास अधिक दिनों तक के लिए नहीं रही.
मौत की पहली घटना
दिसंबर 2018 में नई सरकार का गठन हो गया था. नई सरकार के गठन के साथ जनवरी 2019 से लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई थी. 2019 में अप्रैल का महीना था. अप्रैल महीने में चुनाव प्रचार के दौरान दंतेवाड़ा में बड़ा नक्सली हमला हुआ था. हमला तत्कालीन भाजपा विधायक भीमा मंडावी के ऊपर था. नक्सली हमले में भीमा मंडावी की मौत हो गई थी. इस दुःखद घटना पर तब खूब राजनीति भी हुई. आरोप और प्रत्यारोप लगे. राजनीतिक षडयंत्र बताया, लेकिन बाद में जब उपचुनाव हुआ तो दंतेवाड़ा भाजपा हार गई और 2018 में भीमा मंडावी से हारने वाली कांग्रेस के देवती कर्मा जीत गई थीं. 2019 के बाद अब तक हुए 5 विधायकों की मौत में सबसे पहली मौत भीमा मंडावी की थी.
मौत की दूसरी घटना
2019 में दुःखद घटना के बाद 2020 की घटना ने छत्तीसगढ़ की राजनीति को और क्षति पहुँचाई. 2020 में घटित मौत की घटना से छत्तीसगढ़ से लेकर दिल्ली तक शोक की लहर दौड़ गई थी. 2020 में ये महीना था मई का. दुनिया भर में तब कोरोना काल चल रहा था. मई के अंतिम दिनों में तब छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी मौत के भँवर में फंस गए. कोरोना से नहीं बल्कि गंगा ईमली खाने से. छत्तीसगढ़ के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक रहे अजीत जोगी अपनी नई पार्टी के बैनर तले 5 सीटें जीतकर छत्तीसगढ़ के विधानसभा पहुँचे थे, लेकिन अधिक दिनों तक वे अपनी पार्टी और पार्टी के विधायकों के साथ नहीं रह सके. 29 मई 2020 को अस्पताल में उनका इलाज के दौरान निधन हो गया. यह विधायकों की मौत की दूसरी घटना थी. अजीत जोगी के निधन से खाली हुई सीट मरवाही में उपचुनाव हुआ. दंतेवाड़ा की तरह मरवाही उपचुनाव में सत्ताधारी दल कांग्रेस ने जीत दर्ज की.
मौत की तीसरी घटना
19 और 20 के बाद साल 2021 में भी एक दुःखद घटना घटी. छत्तीसगढ़ के एक और विधायक की मौत की घटना. महीना था नवंबर का और खबर थी लोकप्रिय युवा विधायक देवव्रत सिंह के निधन की. छत्तीसगढ़ की राजनीति को यह गहरा झटका था. जोगी कांग्रेस से चुनाव जीतकर आने वाले देवव्रत सिंह लंबे समय बाद विधानसभा पहुँचे थे. अजीत जोगी की तरह न तो वे अपनी नई पार्टी के साथ ज्यादा समय तक साथ रह सके और खैरागढ़ की जनता के साथ. राजपरिवार के देवव्रत सिंह की अकाल मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई थी. खैरागढ़ में भी उपचुनाव हुआ और फिर से एक बार जीत कांग्रेस को ही मिली.
मौत की चौथी घटना
एक तरह से विधायकों की मौत का सिलसिला चल पड़ा था. साल दर साल सब कुछ ऐसे घटित हो रहा था जैसे छत्तीसगढ़ विधानसभा को किसी की बुरी नजर लग गई हो. वैसे तीन घटनाओं के बाद जब मौत की चौथी घटना घटी तो सच में ऐसा लगने लगा था. 19, 20, 21 के बाद साल 2022 में अबकी बार छत्तीसगढ़ की राजनीति को एक और बड़ा झटका लगा. खासकर कांग्रेस पार्टी और आदिवासी समाज को. अक्टूबर 2022 में छत्तीसगढ़ विधानसभा उपाध्यक्ष मनोज मंडावी की मौत की खबर ने सबको हिलाकर रख दिया था. जनमानस के साथ ही सभी राजनीतिक दलों के बीच सर्वमान्य नेता थे. मनोज मंडावी का निधन हार्ट अटैक आने से हुआ था. उनके निधन के बाद खाली हुई भानुप्रतापुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ और कांग्रेस ने सर्व आदिवासी समाज की चुनौती के बीच लगातार हुए उपचुनाव में कांग्रेस की यह 5वीं जीत थी. 5वीं इसलिए क्योंकि चार उपचुनाव तो विधायकों के निधन की वजह से हुए थे, लेकिन एक उपचुनाव चित्रकोट में दीपक बैज के सांसद बनने के बाद हुए थे. चित्रकोट में भी कांग्रेस को जीत मिली थी.
मौत की पाचवीं घटना
विधायकों की मौत की पांचवीं घटना बस अभी-अभी की है. साल 2023 की घटना. 19, 20, 21 और 22 के बाद अब 23 भी उस साल में शामिल हो गया है, जिसमें विधायक की मौत हुई है. जून 2023 भाजपा विधायक विद्यारतन भसीन के निधन के लिए भी याद किया जाएगा. लंबे समय से बीमार चल रहे भसीन का निधन निजी अस्पताल में इलाज के दौरान 22-23 जून दरम्यानी रात हो गया. भसीन वैशालीनगर विधानसभा सीट से दूसरी बार के विधायक रहे. भसीन की पहचान मिलनसार और सौम्य विधायक के तौर पर रही. भसीन का निधन ऐसे वक्त हुआ जब छत्तीसगढ़ में 5 महीने बाद विधानसभा के चुनाव है. उनके निधन से खाली हुई सीट पर अब उपचुनाव नहीं होंगे, क्योंकि 6 महीने से भी कम समय विधानसभा चुनाव को लेकर बचा है