रायपुर । बीजेपी ने मुख्यमंत्री के करीबी मंत्री मोहम्मद अकबर की घेराबंदी से चुनावी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया हैं। रविवार को बीजेपी ने चुनाव से ठीक पहले कवर्धा के जिलाध्यक्ष को बदलकर पूर्व विधायक अशोक साहू को जिले की कमान सौंप दी हैं। वही मौजूदा जिलाध्यक्ष अनिल सिंह ठाकुर को प्रदेश कार्य समिति में विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया हैं। बीजेपी के इस आदेश के बाद माना जा रहा हैं कि पार्टी एक बार फिर पुराने अनुभवी नेताओं के साथ ही जाति समीकरण के साथ कांग्रेस को घेरने की रणीनति तैयार कर रही हैं, जिसे आने वाले वक्त में अधिकांश विधानसभा क्षेत्रों में इम्पलीमेंट किया जायेगा।
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दल एक्शन मोड पर हैं। सत्ता के सिंहासन तक पहुंचने के लिए कांग्रेस और बीजेपी चुनावी बिसात पर सटीक मोहरे बिठाने की रणनीति तैयार कर रही हैं, ताकि उनकी जीत सुनिश्चित हो सके। पहले कांग्रेस ने संगठन और फिर सरकार में फेरबदल कर नई जवाबदारियां दी। अब परिवर्तन की इसी डगर पर बीजेपी भी बढ़ती नजर आ रही हैं। रविवार को बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरूण साव ने कवर्धा जिला में बड़े फेरबदल कर जिलाध्यक्ष की कमान पूर्व विधायक अशोक साहू के हाथों में सौप दी। प्रदेश महामंत्री केदार कश्यप द्वारा नियुक्ति पत्र में कर्वधा के मौजूदा जिलाध्यक्ष को अनिल सिंह ठाकुर को प्रदेश कार्य समिति में विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया हैं। इसी तरह पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष दिनेश गांधी को कवर्धा का जिला प्रभारी नियुक्त किया गया है। जबकि संतोष पटेल और कांति गुप्ता को कवर्धा का जिला महामंत्री बनाया गया है। बीजेपी के इस नियुक्ति को लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर जारी हैं।
राजनीतिक लिहाज से इन नियुक्तियों पर गौर करे तो मौजूदा वक्त में कवर्धा विधानसभा से मोहम्मद अकबर विधायक हैं। सरकार में मंत्री रहने के साथ ही अकबर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के काफी करीबी भी माने जाते हैं। ऐसे में बीजेपी ने सीएम के करीबी मोहम्मद अकबर के गृह जिले से ही उन्हे घेरने के लिए चुनाव से ठीक पहले रणनीति तैयार की हैं। कवर्धा की राजनीतिक समीकरण के मुताबिक बीजेपी पार्टी के पुराने चेहरे जिन्हे पिछले 4 सालों में कोई वेटेज नही दिया गया, उन्हे दोबारा तवज्जों देकर उनके अनुभव और जाति समीकरण के मुताबिक चुनावी चक्रव्यूह तैयार कर रही हैं। कवर्धा के राजनीतिक समीकरण को समझे तो यहां पिछले 6 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के उम्मींदवार 3-3 बार विधायक रहे। साल 1993 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से डाॅ.रमन सिंह ने यहां से जीत हासिल की थी। लेकिन इसके ठीक बाद हुए साल 1998 और 2003 के चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस के योगेश्वर सिंह ने लगातार 2 बार जीत दर्ज की।