रायपुर। छत्तीसगढ़ में बाघों की घटती संख्या पर वन्यप्रेमियों ने जहां चिंता जतायी है, तो वहीं इस आंकड़े पर राजनीति भी शुरू हो गयी है। भाजपा ने बाघों की घटती संख्या के लिए जहां राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है, तो वहीं कांग्रेस का कहना है कि सरकार लगातार बाघों के संरक्षण का काम कर रही है। साल 2014 में जहां बाघों की संख्या 46 थी, अब घटकर ये संख्या सिर्फ 17 रह गयी है। प्रदेश के तीन टाइगर रिजर्व अचानकमार, उदंती और इंद्रावती में हर साल 60 करोड़ से अधिक राशि खर्च की जाती है।
आंकड़ों की बात करें तो 2014 से अब तक तीनों टाइगर रिजर्व में लगभग 500 करोड़ की राशि खर्च की जा चुकी है। बावजूद बाघों की संख्या घट रही है। आंकड़ों के नजरिये से देखें तो 2014 में छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या प्रदेश में 46 थी, जो लगातार घटते हुए 2023 में महज 17 तक पहुंच गई है। इसे पूर्व नेता प्रतिपक्ष व विधायक धरमलाल कौशिक ने कहा कि प्रदेश में बाघों की संख्या लगातार घट रही है। राज्य सरकार बाघों से संरक्षण की दिशा में बिल्कुल भी गंभीर नहीं है।
वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कहते हैं कि राज्य सरकार लगातार बाघों के संरक्षण की दिशा में काम कर रही है। बाघों के संवर्धन को लेकर विभाग लगातार काम कर रहा है। बीते 7 साल में बाघों के संरक्षण के नाम पर 413 करोड़ रुपए खर्च हुए। यानी हर महीने 5 करोड़ रुपए। यह जानकारी विधानसभा में वन मंत्री द्वारा दी गई थी। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर विभाग अभी गंभीर नहीं हुआ तो संख्या और घट सकती है।
राज्य में वर्तमान में 3 टाइगर रिजर्व हैं। अचानकमार, उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व और इंद्रावती टाइगर रिजर्व। इसके अलावा गुरु घासीदास नेशनल पार्क को अब तक टाइगर रिजर्व का दर्जा नहीं मिल सका है। 2022 की गणना के दौरान सिर्फ 3 टाइगर रिजर्व में कैमरा ट्रैपिंग हुई। इंद्रावती का भी अधिकांश क्षेत्र इसलिए छोड़ दिया गया क्योंकि वह नक्सल प्रभावित है। अगर, संपूर्ण क्षेत्र में कैमरा ट्रैपिंग, पगमार्क और मल के आधार पर गणना होती तो संख्या 30 से अधिक पहुंच जाती। अभी विभाग 22 बाघ होने का दावा कर रहा है।