कोरबा । सरकारी स्कूलों में बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके इसके लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही हैं। सरकार की तरफ से स्कूली बच्चों का भविष्य गढ़ने के लिए बकायदा मुफ्त किताबे भी दी जा रही हैं। लेकिन कोरबा जिला में बच्चों का भविष्य संवारने के लिए मुफ्त मिलने वाली इन्ही किताबों को शिक्षक रद्दी में बेच रहे हैं। ताजा मामला कोरबा ब्लाॅक का हैं, यहां कबाड़ी की गाड़ी में हजारों की संख्या में हाईस्कूल की किताब कबाड़ी को बेच दिया गया। इस खुलासे के बाद जहां शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा हुआ हैं। वही जवाबदार अधिकारी पुलिस पर ही कार्रवाई करने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ने में लगे हुए हैं।
जानकारी के मुताबिक पूरा मामला रजगामार पुलिस चैकी क्षेत्र का हैं। बताया जा रहा हैं कि 15 अगस्त मंगलवार की शाम झगरहा-कोरकोमा मार्ग पर वन विभाग के बैरियर पर प्रभारी अमरिका प्रसाद यादव, वनकर्मी गुरूवेंद्र कुर्रे अपनी ड्यूटी पर तैनात थे। देर शाम के वक्त मार्ग से गुजरने वाले मालवाहक वाहनों की जांच पड़ताल कर वाहनों को बैरियर से रवाना किया जा रहा था। इसी दौरान मालवाहक छोटा हाथी बेरियर पर पहुंचा। वाहन का पिछला हिस्सा तिरपाल से पूरी तरह से ढंका हुआ था। वनकर्मियों ने तिरपाल खोलकर जब वाहन की जांच की तो देखा कि उसमें सरकारी स्कूल की पुस्तकभरी हुई थी। अलग-अलग कक्षा के साथ ही अलग-अलग विषयों की हजारों कीसंख्या में किताबे गाड़ी में लदी हुई थी।
वनकर्मियों ने जब चालक से किताबों के संबंध में पूछताछ की तो उसने अपना नाम कबाड़ गोदाम झगरहा निवासी राकेश कुमार मरावी बताया। उसने बताया कि कबाड़ व्यवसायी के कहने पर वह कुदमुरा और कोरकोमा से पुस्तक लोड कर वापस कबाड़ गोदाम लौट रहा हैं। पूछताछ के दौरान गाड़ी का चालक वनकर्मियों के सामने पुस्तक की खरीदी बिक्री संबंधी दस्तावेज नही दे सका। इसी दौरान रजगामार पुलिस की टीम ने वाहन को पुलिस चौकी लेकर चली गयी। यहां से पूछताछ के बाद रात के वक्त पुस्तक से भरे छोटा हाथी को पुलिस ने छोड़ दिया। आज बुधवार की सुबह जब इस बात की जानकारी आम हुई, तो शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया।
जिला शिक्षाधिकारी जी.पी.भारद्वाज से जब इस संबंध में जानकारी जाननी चाही, तो उन्होने रायपुर में मीटिंग में होने की बात कहकर काॅल काट दिया। इसके बाद कोरबा बीईओं संजय अग्रवाल से जानकारी जाननी चाही गयी, तब उन्होने बताया कि उन्हे मीडिया से ही कबाड़ी के पास पुस्तक जाने की जानकारी मिली हैं। संजय अग्रवाल ने बातचीत में बताया कि किताबे हाईस्कूल की हैं, जिन्हे रजगामार पुलिस ने गाड़ी के साथ पकड़ा था, लेकिन उन्होने रात में ही उसे छोड़ दिया। ऐसे में अब इस मामले में उन्ही को कार्रवाई करनी चाहिए। बीईओं संजय अग्रवाल के इस जवाब से उनकी गंभीरता को समझा जा सकता हैं।
खैर इसके बाद जब रजगामार पुलिस चौकी के प्रभारी अजय सिंह से जानकारी चाही, तो उन्होने बताया कि जांच के दौरान गाड़ी को चौकी में लाया गया था, लेकिन मामले में कोई शिकायत नही थी,इसलिए पूछताछ के बाद उसे छोड़ दिया गया। शिक्षा विभाग के जवाबदार अधिकारियों की उदासीनता का ही नतीजा हैं कि शिक्षा सत्र में बच्चों को किताब बांटने के बजाये शिक्षक उन्हे रद्दी में बेचने पर उतारू हैं। बावजूद इसके जवाबदारअधिकारी मामले पर एक्शन लेने के बजाये पुलिस के मत्थे कार्रवाई का जिम्मा सौंपकर अपना पल्ला झाड़ने में लगे हुए हैं।ऐसे में अब ये देखने वाली बात होगी कि इस पूरे मामले में शिक्षा विभाग दोषी लोगों पर क्या एक्शन लेता हैं, ये तो आने वाला वक्त ही बतायेगा।