सरगुजा । छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी ने पूरी तरह से कमर कस ली हैं। सितंबर के पहले सप्ताह में कांग्रेस उम्मींदवारों की पहली लिस्ट जारी कर सकती हैं। ऐसे में डिप्टी सीएम टी.एस.सिंहदेव ने एक बार फिर टिकट वितरण में नये चेहरों को मौका मिलने के संकेत दिये हैं। टी.एस.बाबा ने कहा कि नये चेहरों को मौका मिल सकता हैं, कितनों होंगे…ये कह पाना मुश्किल हैं। अपने इस बयान के साथ बाबा ने ये भी कहा कि जो रहे उन्होने भी काम किया,ऐसे में उनको नजर अंदाज करना बड़ा मुश्किल होगा। हालांकि वर्तमान विधायकों का टिकट काटना कठिन निर्णय होता है। कुछ दिन बचे हैं, इसलिए अभी पक्का कह नहीं सकते कि कितने चेहरे नए होंगे।
साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में सरगुजा संभाग की सभी 14 सीटों पर कांग्रेस ने बीजेपी को क्लिन स्वीप कर ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। लेकिन मौजूदा साल 2023 के चुनाव में स्थितियां बदली नजर आ रही हैं। सरगुजा संभाग में बीजेपी ने पिछले दिनों 14 में से 5 सीटों पर उम्मीदवार के नामों का ऐलान कर चुकी हैं। वहीं कांग्रेस में अभी कैंडिडेट के नामों को लेकर मंथन का दौर जारी हैं। कुल मिलाकर देखा जाये तो मौजूदा वक्त में कांग्रेस के लिए सरगुजा संभाग की 14 सीटों पर दोबारा चुनाव जीत पाना लगभग नामुमकिन लग रहा हैं। ऐसे में बदलाव की राजनीति करते हुए कांग्रेस हाईकमान कमजोर सीट के अपने विधायक को ड्रॉप कर नये चेहरे को मौका दे सकती हैं। ऐेसे में चेहरा बदलने पर पार्टी में बगावत और अंतर्कलह का डर भी सता रहा हैं।
शनिवार को टीएस सिंहदेव ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि सरगुजा संभाग में कांग्रेस के कुछ नए चेहरे हो सकते हैं। जो विधायक रहे हैं, उन्होंने भी अच्छा काम किया है। इस कारण टिकट काटना कठिन निर्णय हो सकता है। अब टिकट फाइनल होने में कुछ ही दिन बचा है। सिंहदेव ने रामानुगंज विधानसभा में अंबिकापुर महापौर डा. अजय तिर्की की दावेदारी को लेकर कहा कि वे तीन विधानसभा चुनाव से टिकट मांग रहे हैं। वे वहां डाक्टर रहे हैं। क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ है। जब उन्हें अंबिकापुर महापौर का टिकट दिया गया, तो क्षेत्र से कई फोन मेरे पाए आए। जिन्होंने डा. अजय तिर्की का साथ देने कहा था। वे रामानुजगंज क्षेत्र में काफी लोकप्रिय हैं। डिप्टी सीएम टी.एस.सिंहदेव के बयान से साफ हैं कि कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव में कोई भी रिस्क नही लेना चाहेगी।
सरगुजा संभाग की 14 सीटों के राजनीतिक समीकरण को समझे तो यहां अविभाजित सरगुजा की 8 विधानसभा सीटों में से प्रतापपुर को छोड़कर भटगांव, प्रेमनगर, रामानुजगंज, सामरी, लुंड्रा, अंबिकापुर और सीतापुर सीट में सभी प्रत्याशी दो या इससे अधिक बार विधायक बने हैं। कोरिया जिले की तीनों सीटों बैकुंठपुर, भरतपुर-सोनहत एवं मनेंद्रगढ़ में पहली बार कांग्रेस के तीनों विधायक चुनाव जीते हैं। जशपुर जिले में पत्थलगांव विधानसभा को छोड़कर कुनकुरी और जशपुर सीटों पर पहली बार दोनों विधायक विधानसभा पहुंचे। कई विधानसभा क्षेत्रों में 15 साल बाद कांग्रेस की जीत के बाद भी कार्यकर्ताओं में स्थानीय विधायकों के प्रति गहरी नाराजगी है। कुछ विधायकों के कामकाज को लेकर लोगों में निराशा है। साफ हैं ऐसी स्थिति में कांग्रेस पुराने चेहरों पर दांव लगाकर प्रत्याशियों की एंटी इनकंबेंसी अपने पाले में नहीं लेना चाहेगी।