छत्तीसगढ़जांजगीर चांपा
Trending

राधा का नाम नहीं होता तो भगवान श्रीकृष्ण के प्रेममयी जीवन को कौन जान पाता: अशोक स्वर्णकार , सीनियर एडवोकेट हाईकोर्ट बिलासपुर 

चांपा/मनीराम आजाद । शाम-सवेरे देखूं तुझको , कितना सुन्दर रूप हैं । तेरे साथ हैं ठंडी छाया , बाकी दुनिया धूप हैं । जहां योगेश्वर कृष्ण हैं , वहां राधा । कृष्ण के हृदय में स्थान पाने के लिए राधा ने भी कम त्याग नही किए । यही कारण हैं कि राधा-कृष्ण की युगल जोड़ी , प्रेम के सर्वोत्कृष्ट प्रतीक बनकर हमारे सामने हर जन्माष्टमी में आती हैं । यघपि लौकिक रीति से दोनों एक भले ही नहीं हुए थे , लेकिन मंदिरों में आज़ भी कृष्ण के साथ राधा जी की पूजा होती हैं । राधा के प्रेम में आकंठ डुबकर कृष्ण ने हम सबको जीवन के प्रति रागात्मक लगाव रखने के लिए अभिप्रेरित किया हैं । पर्व विशेष को ध्यान में रखते हुए जन्माष्टमी पर्व पर स्वर्णकार समाज, शिवरीनारायण में राधा-कृष्ण की जीवंत झांकियां सजाई गई । वास्तव में मोहन तो हैं सबके प्यारे हैं । साहित्यकार शशिभूषण सोनी ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण जब गोकुल से विदा लेते हैं तो अपनी बांसुरी काली कमली राधा जी को सौंपते हैं । राधा जी उनसे पूछती हैं ‘ राधा । बिना बांसुरी के वेणुनाद कैसे होगा ? ‘ वास्तव में भगवान श्रीकृष्ण वेणुनाद से शंखनाद के संवाहक हैं । कान्हा के रुप में हार्दिक स्वर्णकार, पिता मोहन और माता मीनाक्षी । राधा-कृष्ण की रुप सज्जा में सुश्री पीहू पिता शिवशंकर और मां श्रीमति रानी तथा कृष्ण की भूमिका में मास्टर सुजल पिता विजय श्रीमती रानू सोनी । नीचे के चित्र में जुडवा बहनें दिव्या और नव्या केशरवानी । मातु शांता गुप्ता बहनजी दिखाई दे रही हैं । स्वर्णकार समाज के आयोजन से जुड़े सभी बंधु-भगनियों को जन्माष्टमी पर्व की बधाई एवं शुभकामना यह मीनाक्षी-मोहन सोनी , शिवरीनारायण तथा श्रीमति शांता गुप्ता ने उपलब्ध कराई हैं । जन्माष्टमी पर्व पर राधा-कृष्ण मंदिर का भ्रमण और पूजा-अर्चना करने हाईकोर्ट बिलासपुर के सीनियर एडवोकेट अशोक कुमार स्वर्णकार सपरिवार पहुंचे । उन्होनें संक्षिप्त चर्चा करते हुए कहा कि राधाकृष्ण का प्रेम बंधन कितना सघन था इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि कृष्ण के विवाहित होने के बाद भी उनकी सहधर्मिणी के रुप में हम सिर्फ राधा को ही स्मरण करते हैं । कृष्ण ने जब प्रेम किया तो उसे इतना महान बना दिया कि लोग यूगो-युगों से उनकी पूजा करते आ रहे हैं । स्वर्णकार जी ने कहा भी कि हमने चांपा के राधा-कृष्ण मंदिर के उत्कृष्टता के विषय में बहुत दिनों से सुना था अपनी पत्नी राधा स्वर्णकार ,पुत्र डा अमित और पुत्र वधु शीला स्वर्णकार शशिप्रभा सोनी, शशिभूषण सोनी के साथ दर्शन लाभ प्राप्त किया। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी बरपाली चौक , डागा कॉलोनी ,चांपा निवासी वयोवृद्ध रोशनलाल अग्रवाल जी के पोती-पोता अंशिका व मास्टर लक्ष्य अग्रवाल ने माखन से भरी मटकी फोड़कर दही हाड़ी का पर्व‌ हर्षोंल्लास पर्व जन्माष्टमी धूमधाम से मनाया गया। रोशनलाल अग्रवाल जी ने कहा कि राधा शक्ति की स्रोत हैं । राधा का नाम नहीं होता तो योगेश्वर भगवान श्रीकृष्णचंद्र जी के प्रेममयी जीवन को कौन जान पाता।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button