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मौत के मुंह से 7 दिन बाद लौटा बस्तर फाइटर जवान,पुलिस की नौकरी छोड़ने की शर्त पर माओवादियों ने की रिहाई

बस्तर । माओवादियों द्वारा अपहृत बस्तर फाइटर जवान को 7 दिन बाद अंततः नक्सलियों ने रिहा कर दिया है। बताया जा रहा है कि घने जंगल में माओवादियों ने जन अदालत लगाकर बस्तर फाइटर शंकर कुड़ियम को मौत की सजा सुना दी थी। लेकिन शंकर और सामाजिक कार्यकर्ता और गांव वालों का पक्ष जानने और सभी की अपील के बाद के बाद माओवादियों ने पुलिस की नौकरी छोड़ने के शर्त पर जवान की रिहाई किया गया। का फैसला सुनाया गया। माओवादियों के इस सर्शत रिहाई के बाद जवान को सुरक्षित लेकर उसके परिवार के लोगों के साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता,पत्रकार वापस लौट आये है।

गौरतलब है कि शंकर कुड़ियम को नक्सलियों की माड़ डिविजन ने 29 सितंबर को उसपरी घाट के पास से अगवा कर लिया था। बताया जा रहा है कि वह अपने परिचित को छोड़ने के लिए गया हुआ था। गुरुवार को माड़ डिविजन कमेटी की सचिव अनिता मंडावी ने पर्चा जारी कर बस्तर फाइटर शंकर कुड़ियम के अपहरण की सूचना देते हुए जनअदालत लगाने की बात कही थी। एसपी बीजापुर आंजनेय वार्ष्णेय ने भी परिवार और सामाजिक कार्यकर्ताओं की अपील पर नक्सलियों से उसे रिहा करने की मांग की थी। बीजापुर के एरमनार गांव का रहने वाला शंकर कुड़ियम आदिवासी युवक है, जो कि कुछ वर्ष पहले ही पुलिस बल में भर्ती हुआ था।

इसी बात को लेकर माओवादियों ने उसे अगवा कर लिया था। माओवादियों के खिलाफ पुलिस को मदद करने के आरोप में शंकर को लेकर जन अदालत लगाया गया था। इस जनअदालत में शंकर की ओर से पैरवी करने कुछ सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार वहां पहुंचे थे। माओवादियों ने जन अदालत में सुनवाई के दौरान शंकर पर पुलिस का साथ देने का आरोप लगाते हुए उसे मौत की सजा देने का पक्ष रखा गया था। बताया जा रहा है कि इसके बाद शंकर ने अपना पक्ष रखा कि वह परिवार के जीविकोपार्जन के लिए सुरक्षा बल में नियुक्त हुआ है।

सामाजिक संगठन और सभी पक्षो के काफी निवेदन के बाद माओवादियों ने शंकर की सर्शत रिहाई का फैसला लिया गया। इसके बाद माओवादियों के शर्त के मुताबिक शंकर ने सुरक्षा बल की नौकरी छोड़कर शांत जीवन जीने गांव लौट जाने के शर्त में अपनी सहमति दी गयी। जिसके बाद सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकारों ने भी शंकर को छोड़ने की नक्सलियों से अपील की। जिसके बाद अंततः माओवादियों ने शंकर के पक्ष में रिहाई का फैसला सुनाया गया। सात दिन नक्सलियों की कैद में बिताने के बाद अब शंकर अपने घर के लिए लौट गया हैं। साथ में सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार भी हैं, जो उसे सकुशल लाने घने जंगलों के बीच गए हुए थे।

 

 

 

 

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