रायपुर : छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए 7 और 17 नवंबर को वोटिंग होगी। उससे पहले चुनाव के आए सर्वे और फीडबैक ने बीजेपी की चिंताएं बढ़ा दी हैं। यही वजह है कि अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े लोगों ने जमीनी स्तर पर सक्रियता बढ़ा दी है। संघ के कार्यकर्ता जमीनी फीडबैक तो जुटा ही रहे हैं। साथ में केंद्र सरकार की योजनाओं से आमजन को अवगत करा रहे हैं। छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव को लेकर अब तक आए तमाम मीडिया हाउस के सर्वे और जमीनी फीडबैक के बाद से बीजेपी चिंतित है और वह जमीनी हालात में सुधार लाने की हर संभव कोशिश कर रही है।
मदद के लिए आगे आया RSS
एक तरफ जहां पार्टी ने बड़े और पुराने चेहरों को ही मैदान में उतारकर हालात संभालने की कोशिश की है। वहीं, दूसरी ओर अब आरएसएस भी बीजेपी की मदद के लिए आगे आया है। संघ से जुडे़ सूत्रों का कहना है कि विभिन्न अनुशंगिक संगठनों से नाता रखने वाले कार्यकर्ता और पदाधिकारी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर बीते दो माह से राज्य के अलग-अलग हिस्सों में सक्रिय हैं, लेकिन अब इन पर एक बड़ी जिम्मेदारी आन पड़ी है और वह है राज्य का विधानसभा चुनाव।
जमीनी स्थिति में सुधार लाने की जिम्मेदारी
पिछले दिनों में इन जमीनी स्तर पर काम कर रहे हजारों स्वयंसेवकों का जो फीडबैक आया है उसके बाद से ही संघ की ओर से विधानसभा चुनाव में भी पार्टी के लिए मदद की रणनीति बनाई गई है। सूत्रों की मानें तो चार हजार से ज्यादा संघ से नाता रखने वाले विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ताओं को बीजेपी की जमीनी स्थिति में सुधार लाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह वे संगठन हैं, जो सामाजिक तौर पर अलग-अलग वर्गों के बीच काम करते हैं। किसानों के बीच काम करते हैं, आदिवासियों के बीच काम करते हैं।
बीजेपी की जमीन को मजबूत करने में जुटे
ये लोग समाज के अलग-अलग वर्गों के बीच पहुंचकर बीजेपी सरकार की उपलब्धियों का प्रचार-प्रसार तो कर ही रहे हैं। साथ ही लोगों को इस बात के लिए सहमत कर रहे हैं कि वर्तमान हालात में अगर राष्ट्रवादी पार्टी सत्ता में नहीं आती है तो देश का बड़ा नुकसान होगा। इस दौरान कश्मीर से आर्टिकल 370 खत्म करने, राम मंदिर और तीन तलाक जैसे कानून पर भी चर्चा हो रही है। इसके अलावा समान नागरिक संहिता को देश के लिए जरूरी बताया जा रहा है। कुल मिलाकर संघ से जुड़े लोग बीजेपी की जमीन को मजबूत करने में लगे हैं।