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मोबाइल से लोगों में इस बीमारी का बढ़ रहा खतरा..

नई दिल्ली  AIIMS के एक अध्ययन में सामने आया है कि राजधानी दिल्ली के 58 प्रतिशत युवा किसी न किसी जोड़ों के दर्द से परेशान हैं. इनमें से 56 प्रतिशत युवा गर्दन के दर्द से परेशान हैं. 29 प्रतिशत को कंधों में दर्द, 27 प्रतिशत को रीढ़ की हड्डी और लोअर बैक पेन है. नौ प्रतिशत युवा घुटनों में दर्द और कलाइयों में दर्द से परेशान हैं. इस रिसर्च को ऐसे 510 लोगों पर किया गया जो 6 घंटे या उससे ज्यादा मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहे थे. ज्यादातर मामलों में इस दर्द का कारण यानी विलेन मोबाइल फोन है. आइए समझिए कि मोबाइल फोन और गर्दन के बीच अकड़ वाली लड़ाई कैसे होती है.

सिर का वजन 4-5 किलो

दरअसल, एक वयस्क इंसान के सिर का वजन आमतौर पर 4 से 5 किलो का होता है. लेकिन जब हम झुककर देखते हैं तो गर्दन और रीढ़ की हड्डी के लिए ये वज़न बढ़ने लगता है. जब मोबाइल की स्क्रीन देखने के लिए गर्दन 15 डिग्री नीचे झुकाते हैं तो गर्दन पर तीन गुना ज्यादा वजन बढ़ता है. देर तक मोबाइल की स्क्रीन में घुसे रहने वाले इंसान की गर्दन 60 डिग्री तक भी झुक जाती है. 60 डिग्री झुकने पर सिर का 4 से 5 किलो का वज़न बढ़कर गर्दन और रीढ़ के लिए 25 किलो से ज्यादा हो जाता है.

जेनेटिक कारण जिम्मेदार नहीं?

एम्स ने जोड़ों के दर्द को लेकर जो रिसर्च की है उसमें पाया गया कि आमतौर पर जेनेटिक समझी जाने वाली इस बीमारी के शिकार होने वाले लोगों में जेनेटिक कारण जिम्मेदार नहीं थे. 60 प्रतिशत लोगों को लंबे समय तक मोबाइल फोन और खराब लाइफस्टाइल ने तरह तरह के दर्द दे दिए हैं. इस बीमारी को मेडिकल भाषा में rheumatoid arthritis कहते हैं. ये बीमारी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा पाई जाती है.

एक इम्यून सिस्टम का डिसऑर्डर

वैज्ञानिकों के मुताबिक रयूमेटॉइड आर्थराइटिस यानी जोड़ों में सूजन और दर्द की बीमारी दरअसल एक इम्यून सिस्टम का डिसऑर्डर है. इस बीमारी में Th17 और Treg cell का संतुलन बिगड़ने लगता है. Th17 सेल्स में सूजन आने लगती है और Treg cell जिन्हें एक्सपर्टस टी सेल्स के नाम से बुलाते हैं ये म्यूटेट होने लगते हैं और ये सेल्स बूढ़े होने लगते हैं धीरे धीरे इन दोनों सेल्स में हो रहे बदलाव इंसान के डीएनए को भी नुकसान पहुंचाते हैं. इसीलिए आमतौर पर गठिया यानी जोड़ो के दर्द की बीमारी को केवल कंट्रोल ही किया जा सकता है.

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