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आज से शुरू हो रही शारदीय नवरात्रि, यहाँ जानें कलश स्थापना से लेकर सबकुछ 

शारदीय नवरात्रि आज 15 अक्टूबर से शुरू हो जाएगा. नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की हर दिन अलग-अलग पूजा की जाएगी. शारदीय नवरात्रि में दुर्गा मां की पहले दिन भक्तों द्वारा मां शैलपुत्री के स्वरूप में पूजा की जाएगी. 9 दिन की अखंड ज्योत प्रजवल्ति की जाएगी. इसके बाद अगले नौ दिन तक मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना होगी. जानिए नवरात्रि के पहले दिन की पूजा का मुहूर्त, विधि और मां शैलपुत्री का पूजन कैसे करें.

नवरात्रि में पहले दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा करें. पर्वतराज हिमालय की बेटी मां शैलपुत्री ने शिव को बहुत कठिन तप के बाद पति के रूप में पाया था. इन्हें करुणा, धैर्य और स्नेह का प्रतीक माना जाता है. मां शैलुपत्री की पूजा से जीवन में चल रही सारी परेशानियां शांत हो जाती हैं. कुवांरी लड़कियों की सुयोग्य वर की तलाश पूरी होती है.

नवरात्रि में कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त

नवरात्रि में कलश स्थापना के लिए अश्विन शुक्ल की प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर 2023 को रात 11.24 मिनट पर शुरू होगी 16 अक्टूबर 2023 को प्रात: 12.03 मिनट पर खत्म होगी. नवरात्रि के पहले दिन अभिजित मुहूर्त में कलश स्थापना बहुत शुभ मानी गई है.

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06:30 से लेकर 08:47 तक रहेगा.

कलश स्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त सुबह 11.44 से लेकर दोपहर 12.30 तक रहेगा.

कलश स्थापना के लिए सामग्री

शारदीय नवरात्रि के पहले दिन विधि विधान से घटस्थापन (कलश स्थापन) की जाती है. घटस्थापना के लिए कुछ विशेष सामग्री का होना जरुरी है. कलश स्थापना के लिए जौ बोने के लिए चौड़े मुंह वाला मिट्टी का पात्र, स्वच्छ मिट्टी, मिट्टी या तांबे का कलश साथ में ढक्कन, कलावा, लाल कपड़ा, नारियल, सुपारी, गंगाजल, दूर्वा, आम या अशोक के पत्ते, सप्तधान्य (7 प्रकार के अनाज), अक्षत, लाल पुष्प, सिंदूर, लौंग, इलायची, पान, मिठाई, इत्र, सिक्का आदि एकत्रित करें.

कलश स्थापना विधि

कलश स्थापना करने से पहले ध्यान दें कि कलश की पूर्व या उत्तर दिशा या फिर ईशान कोण में स्थापना करें.

कलश स्थापना के लिए पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और अक्षत अष्टदल बनाकर मां दुर्गा की प्रतिमा विराजमान करें.

इसके बाद कलश में पानी, गंगाजल, सिक्का, रोली, हल्दी गांठ, दूर्वा, सुपारी डालकर कलश स्थापित करें.

कलश में 5 आम के पत्ते रखकर उसे ढक दें. ऊपर से नारियल में कलावा बांधकर रख दें.

मिट्टी के पात्र में स्वच्छ मिटि्टी डालकर 7 तरह के अनाज बोएं और इसे चौकी पर रख दें.

अंत में दीप जलाकर गणपति, माता जी, नवग्रहों का आवाहन करें. फिर विधि-विधान से देवी की पूजा करें.

मां शैलपुत्री की पूजा विधि

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा से पहले विधि-विधान से कलश स्थापना करें और अखंड ज्योति जलाएं और भगवान गणेश का आवाहन करें. देवी शैलपुत्री को सफेद रंग प्रिय है, नारंगी और लाल कलर की रंग भी देवी को सबसे प्रिय है. कलश स्थापना के बाद षोडोपचार विधि से मां शैलुपत्री की विधि-विधान से पूजा करें. मां शैलपुत्री को कुमकुम, सफेद चंदन, हल्दी, अक्षत, सिंदूर, पान, सुपारी, लौंग, नारियल 16 श्रृंगार का सामान अर्पित करें. देवी को सफेद रंग की पुष्प, सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाएं. मां शैलपुत्री के बीज मंत्रों का जाप करें और फिर आरती करें. शाम के समय भी मां की आरती करें और लोगों को प्रसाद वितरित करें.

इस मंत्र का करें जाप

ओम देवी शैलपुत्र्यै नमः

ह्रीं शिवायै नम:

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

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