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पूर्व CEC का बड़ा दावा.. ‘हर मशीन में गड़बड़ी संभव लेकिन EVM से छेड़छाड़ मुमकिन ही नहीं’

नई दिल्ली:  पांच राज्यों के चुनावी नतीजे सामने आने वाले है। जिन राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम जारी होंगे उनमें छत्तीसगढ़, तेलंगाना, मध्यप्रदेश, राजस्थान और मजोरम शामिल है। इन सभी चुनावों में परम्परागत वोटिंग से उलट ईवीएम का इस्तेमाल किया गया था लिहाजा हमेशा की तरह ईवीएम पर उठने वाले सवालों की आहत एक बार फिर महसूस की जा रही है। आशंका जताई जा रही है कि कही हारने वाली पार्टी या उम्मीदवार अपने हार का ठीकरा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर ना फोड़ दे। हालाँकि इससे पहले 2019 में कांग्रेस समेत कई दलों ने सीधे तौर पर ईवीएम पर सवाल उठाये थे। उन्होंने नतीजों को प्रभावित करने का भी दावा किया था। चुनाव आयोग एवीएम के खिलाड़ इस दुष्प्रचार को रोकने कई दफे एवीएम के कार्यप्रणाली को सामने रख चुकी है। खुद सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि एवीएम को हैक नहीं किया जा सकता।

वही इस पूरे मसाले को लेकर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने एक समाचार चैनल पर दावा किया है कि ईवीएम के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। उन्होंने बातचीत के दौरान कहा कि दुनिया की हर मशीन में गड़बड़ी संभव है लेकिन ईवीएम के साथ ऐसा मुमकिन नहीं है। उन्होंने सीईसी सहते हुए एक बार नहीं बल्कि सैकड़ो पारर इसकी कार्यप्रणाली को बारीकी से जांचा है। कभी भी यह साबित नहीं हो पाया कि ईवीएम से नतीजों को बदला जा सकता है। उन्होंने ईवीएम पर एक पूरी बुकलेट भी जारी की थी।

कौन है सुनील अरोड़ा

सुनील अरोड़ा सेवानिवृत्त पूर्व चुनाव आयुक्त है। उन्होंने बतौर मुख्य चुनाव आयुक्त 2019 के लोकसभा चुनाव सहित 11 प्रमुख इलेक्शन कराए थे। 2021 में वह रिटायर हुए। 13 अप्रैल 1956 को पंजाब के होशियारपुर में जन्में अरोड़ा 1980 बैच के राजस्थान काडर के रिटायर्ड आईएएस अफसर रहे। एक सितंबर 2017 को वह चुनाव आयोग में इलेक्शन कमिश्नर (चुनाव आयुक्त) बने और फिर दो दिसंबर 2018 को उन्हें देश के मुख्य चुनाव आयुक्त(सीईसी) की जिम्मेदारी संभाली। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, स्किल डेवलपमेंट सहित केंद्र सरकार के प्रमुख मंत्रालयों में कार्य कर चुके हैं।

पंजाब यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी से एमए करने के बाद सिविल सर्विसेज में आने वाले सुनील अरोड़ा राजस्थान में लंबी प्रशासनिक पारी खेल चुके हैं। वह राजस्थान के मुख्यमंत्री के सचिव और प्रमुख सचिव भी रह चुके हैं। 29 अगस्त 2014 से वह केंद्र की प्रतिनियुक्ति पर हैं। अब 30 अप्रैल 2021 को मुख्य चुनाव आयुक्त पद से रिटायर होंगे। दो दिसंबर 2018 को मुख्य चुनाव आयुक्त पद पर उनकी ढाई वर्ष के लिए नियुक्ति हुई थी।

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