राजधानी के बाद अब कोरबा नगर निगम की सत्ता पर भी मंडराने लगा खतरा
कोरबा । छत्तीसगढ़ मेें नगर निगम के चुनाव में अभी भले ही एक साल का वक्त बचा हुआ है, लेकिन सूबे की सत्ता में बीजेपी के आने के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गयी है। राजधानी रायपुर के साथ ही कोरबा में बीजेपी नगर निगम की सत्ता पर कब्जा करने के लिए महापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है। कोरबा में महज 1 वोट से महापौर की कुर्सी गवाने वाली बीजेपी एक बार फिर महापौर के खिलाफ फर्जी जाति प्रमाण पत्र और अविश्वास प्रस्ताव को लेकर घेराबंदी करना शुरू कर दी है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यहीं है कि क्या जिस निगम क्षेत्र से पूर्व राजस्व मंत्री को करारी हार का सामना करना,उस निगम की सत्ता को दोबारा बचा पाने में कामयाब हो पायेंगे ?
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद बीजेपी एक बार फिर एक्शन मोड पर नजर आ गयी है। एक तरफ प्रदेश भर में अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलना शुरू हो गया है। वहीं दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव से पहले ही शहर सरकार की सत्ता पर काबिज होने की रणनीति तैयार हो गयी है। इसकी झलक राजधानी रायपुर और कोरबा नगर निगम में दिखने लगा है। प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनते ही कांग्रेस के महापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी शुरू कर दी है। बात करे कोरबा की तो यहां बहुमत होने के बाद भी बीजेपी पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल की रणनीति के सामने विफल हो गयी थी।
करीब 4 साल का वक्त गुजर जाने के बाद भी बीजेपी के पार्षद ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित महापौर की सीट पर बैठे राजकिशोर प्रसाद के जाति प्रमाण को फर्जी बताकर जांच की मांग कर रहे है। कांग्रेस की सरकार में शुरू हुई ये जांच आज चार साल बाद भी पूरा नही हो सका। वहीं 3 महीने पहले ही अगस्त महीने में बीजेपी के पाषदों ने महापौर राजकिशोर प्रसाद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का आवेदन कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत किया था। लेकिन उस पर अब तक कोई फैसला नही हो सका। ऐसे में विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद जहां बीजेपी एक बार फिर महापौर को निगम की सत्ता से हटाने में जुट गये है।
वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के इस एक्शन मोड को देख कांग्रेस को भी अपने पार्षदों के टूटने की चिंता सताने लगी है। नेता प्रतिपक्ष हितानंद अग्रवाल का दावा है कि करीब दर्जन भर कांग्रेसी पार्षद के साथ ही निर्दलीय और सीपीआई सहित जोगी कांग्रेस के पार्षद बीजेपी के संपर्क में है। वहीं दूसरी तरफ महापौर राजकिशोर प्रसाद ने कांग्रेसी पार्षदों के एकजुट होने के साथ ही अविश्वास प्रस्ताव के बाद भी बहुमत कांग्रेस के पक्ष में होने का दावा किया है। ऐसे में अब ये देखने वाली बात होगी कि नगर निगम चुनाव से ठीक एक साल पहले निगम की सत्ता पर बीजेपी कब्जा कर पाती है या फिर पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल महापौर की कुर्सी को बचा पाने में एक बार फिर कामयाब होते है, ये तो आने वाला वक्त ही बतायेगा।