रायपुर । छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की करारी हार के बाद मंथन का दौर जारी है। एक तरफ AICC ने दिल्ली में सूबे के मुखिया रहे भूपेश बघेल सहित सभी बड़े नेताओं के साथ बैठक कर प्रदेश में हुई हार पर चर्चा की। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे जयसिंह अग्रवाल ने प्रदेश में कांग्रेस की और कोरबा में खुद की हार का ठिकरा सूबे के मुखिया भूपेश बघेल पर फोड़ दिया है। जयसिंह अग्रवाल ने सीएम का नाम लिये बगैर आरोप लगाया कि सरकार में मंत्रियों को जो पाॅवर मिलनी थी….वो नही मिल पायी। एक ताकत सेंट्रलाइज हो के कुछ चुनिंदा लोगों के साथ पूरे 5 साल काम करती रही। कोरबा में चुन-चुन के एसपी-कलेक्टर की पोस्टिंग किया गया, जिन्होने कार्यो में सिर्फ व्यवधान ही डाले। राजस्व मंत्री रहे जयसिंह अग्रवाल का अपने ही मुखिया को लेकर दिये इस बयान के बाद एक बार फिर राजनीति गरमा गयी है।
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में बीजेपी की पूर्ण बहुमत के बाद अब मुख्यमंत्री और मंत्रियों के नाम को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। दूसरी तरफ कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद पार्टी में मंथन का दौर जारी है। शुक्रवार को दिल्ली में AICC ने बैठक बुलाई थी। जिसमें भूपेश बघेल सहित सभी बड़े नेता शामिल हुए। लेकिन इसी मंथन के दौरान कांग्रेस सरकार में रहे राजस्व मंत्री रहे जयसिंह अग्रवाल के बयान ने कांग्रेस पार्टी में भूचाल ला दिया है। राजस्व मंत्री किन्ही कारणों से दिल्ली तो नही गये, लिहाजा उन्होने कोरबा में अपने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मंथन कर हार का ठिकरा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर फोड़ दिया।
मीडिया में दिये बयान में राजस्व मंत्री ने आरोप लगाया कि…” साल 2018 के विधानसभा चुनाव में सभी ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा था। लेकिन मौजूदा चुनाव सेंट्रलाइज हो गया था। जयसिंह अग्रवाल ने आगे कहा कि जो जनादेश हमे मिला था, उसका सही आदर हमारी सरकार नही कर पायी। सरकार से मंत्रियों को जो पाॅवर मिलनी चाहिए थी….वो नही मिली। एक ताकत सेंट्रलाइज होके कुछ चुनिंदा लोगों के साथ पूरे 5 साल काम करती रही। मंत्री रहे जयसिंह अग्रवाल ने अपनी करारी हार का जिम्मेदार भी सूबे के मुखिया को बताया। उन्होने नाम लिये बगैर कह दिया कि कोरबा जिले में चुन चुनकर ऐसे अधिकारियों को भेजा गया, जो भ्रष्टाचार में लिप्त रहे। अवैध कार्यो को खुलेआम चलाया गया, जिससे जिले में कांग्रेस डैमेज हुई।”
आगे जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश भर के शहरी क्षेत्र में हम बुरी तरह से पिछड़ गए। सरकार ने किसानों पर ध्यान दिया, बेशक उनके काम भी हुए। लेकिन ऐसा लगता है कि हमारे मुखिया को कहीं ना कहीं यह विश्वास था कि ग्रामीण क्षेत्र की सारी सीट जीत लेंगे। शहरी क्षेत्र की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन यह भी गलत साबित हुआ। शहरों में विकास हुआ, लेकिन सारी शहरी क्षेत्र की सारी सीटों पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। गौरतलब है कि जिस तरह से साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के बड़े नेता और मंत्रियों को करारी हार का सामना करना पड़ा था। ठीक वैसी ही हार का सामना इस बार कांग्रेस के बड़े नेताओं को देखना पड़ा है। दोनों चुनाव के हार में बस अंतर इतना ही है कि करारी हार के बाद बीजेपी के नेता एक-दूसरे पर ठिकरा फोड़ते नजर नही आये थे। लेकिन दो फाड़ में बटी कांग्रेस में हार के बाद अब नेता सीधे मुख्यमंत्री पर ही हार का ठिकरा फोड़ते नजर आ रहे है।