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अव्यवहारिक फरमान से धान उपार्जन केन्द्रों में अफरातफरी , खरीदी तिथि बढ़ाने की मांग

रायपुर । आवश्यकता पर धान खरीदी तिथि बढ़ाने संबंधी ‌मुख्यमंत्री के सार्वजनिक आश्वासन के बाद भी अभी निर्धारित तिथि 31 जनवरी तक धान खरीदी का लक्ष्य पूरा कर वाहवाही लूटने के चक्कर में प्रशासन द्वारा दिये जा रहे अव्यवहारिक फरमानों से धान उपार्जन केन्द्रों में अफरातफरी मच गया है । हमालो की समस्या के बीच प्रतिदिन खरीदी का लक्ष्य बढ़ाते जाने के चलते जहां खरीदी गड़बड़ा गयी है वहीं प्रभावी परिवहन न होने से केन्द्रों में धान जाम होने से अधिकांश केन्द्रों में खरीदी भी ठप्प होने के कगार पर है । प्रशासनिक रव्वैया के चलते खरीदी तिथि न बढ़ने की आंशका की वजह से किसानों में केन्द्रों तक धान पहुंचाने की‌ होड़ मच गयी है तो निर्धारित लक्ष्य को पूरा न कर पाने पर कार्यवाही के भय से केन्द्रों के प्रभारी दहशत में है । स्थिति को देखते हुये अविलंब 15 फरवरी तक खरीदी तिथि बढ़ाये जाने की मांग मुख्यमंत्री विष्णु देव साय व मुख्य सचिव अमिताभ जैन को मेल से आज मंगलवार को ज्ञापन भेज किसान संघर्ष समिति के संयोजक भूपेन्द्र शर्मा ने की है ।

ज्ञातव्य हो कि प्रदेश में सत्तासीन रहे पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने 31जनवरी तक धान खरीदी का निर्णय लेते हुये प्रत्येक केन्द्रों के लिये प्रतिदिन निर्धारित मात्रा में धान खरीदी का लक्ष्य निर्धारित किया था । सत्ता परिवर्तन के बाद सत्तारूढ़ हुये भाजपा के मुख्यमंत्री श्री साय ने आवश्यकता होने पर खरीदी तिथि बढ़ाने की सार्वजनिक आश्वासन दी थी पर अभी तक अधिकृत घोषणा नहीं हो पाया है । आश्वासन को अभी तक अमलीजामा नहीं पहनाये जाने व प्रशासन द्वारा प्रतिदिन खरीदी के निर्धारित लक्ष्य को बढ़ाते जाने से केन्द्रों में अफरातफरी मच जाने की जानकारी प्रेषित ज्ञापन में देते हुये श्री शर्मा ने लिखा है कि इसकी वजह से किसानों व केन्द्र प्रभारियों को संदेश जा रहा है कि खरीदी तिथि नहीं बढ़ेगी जिसकी वजह से मारामारी की स्थिति बनने लगी है । ज्ञापन में जानकारी दी गयी है कि मांग के अनुरूप मजदूरी नहीं मिलने व प्रशासनिक दबाव डाल जबरिया रोजगार गारंटी का काम शुरू करा दिये जाने के चलते धान भरने , कट्टों की सिलाई करने व स्टेकिंग करने खोजे हमाल नहीं मिल रहे व खरीदे जा रहे धान का प्रभावी परिवहन न होने से धान खरीदी हेतु जगह नहीं होने से अधिकांश केन्द्रों में खरीदी भी ठप्प होने के कगार पर है । शासन द्वारा निर्धारित चबूतरों पर धान रखने की जगह न होने के कारण किसानों व शासन के दबाव में खरीदे जा रहे धान को मजबूरीवश जमीन में रखने व अन्य शासकीय फरमानों का पालन न करने पर निलंबन व सेवामुक्ति जैसे अनुशासनात्मक कार्यवाही की आंशका से केन्द्रों के प्रभारियों के दहशत में होने व‌ तिथि में वृद्धि संबंधी अधिकृत घोषणा न होने से किसानों के भी सान्सत में होने की जानकारी देते हुये व अव्यवहारिक फरमानों के चलते शासन – प्रशासन सहित सोसायटियों को होने जा रहे संभावित नुकसानी के मद्देनजर व्यापक ‌हित में कम से कम आसन्न 15 फरवरी तक खरीदी तिथि बढ़ाने की मांग करते हुये अविलंब इसकी घोषणा का आग्रह किया है ।

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