क्या है विरासत टैक्स जिसको लेकर देश में मचा है हड़कंप …प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर साधा निशाना
नई दिल्ली विरासत टैक्स: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को छत्तीसगढ़ के सरगुजा में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए सैम पित्रोदा के विरासत टैक्स वाले बयान पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के इरादे नेक नहीं है. अब उनके खतरनाक इरादे खुलकर सबके सामने आ गए हैं. इसलिए अब वे इंहेरिटेंस टैक्स की बात कर रहे हैं.
क्या होता है विरासत टैक्स?
इन्हेरिटेंस टैक्स (Inheritance tax) को हिंदी में विरासत टैक्स कहते हैं। इस टैक्स को किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी उस संपत्ति पर लगता है, जो उत्तराधिकारियों को मिलनी होती है। अमेरिका और जापान समेत दुनियाभर के कई देशों में इस टैक्स को लगाया जाता है। कई देशों में इस टैक्स की दर 50 फीसदी से भी अधिक है। जब किसी को विरासत में कोई संपत्ति मिलती है तो उसके ट्रांसफर से पहले इस टैक्स को लिया जाता है। इस टैक्स को सरकारें रेवेन्यू में बढ़ोतरी के लिए लगाती हैं।
सैम पित्रोदा ने क्या कहा
सैम पित्रोदा ने विरासत टैक्स की वकालत करते हुए कहा कि यह कानून कहता है कि आपने अपने जीवन में जो भी संपत्ति बनाई, जब आप इस दुनिया से जा रहे हैं तो आपको इस संपत्ति का आधा हिस्सा जनता के लिए छोड़ना चाहिए। पित्रोदा ने कहा कि यह एक निष्पक्ष कानून है और मुझे अच्छा लगता है। उन्होंने कहा कि भारत में इस तरह का कोई टैक्स नहीं है। अरब भारत में कोई व्यक्ति मर जाता है तो भारत में ऐसा नहीं है। भारत में यदि किसी के पास 10 अरब की संपत्ति है और वह मर गया तो उसके बच्चों को पूरी प्रॉपर्टी मिल जाती है। उन्होंने कहा कि इसमें जनता को कुछ नहीं मिलता है।
कांग्रेस ने दी सफाई
सैम पित्रोदा के बयान से किनारा करते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “सैम पित्रोदा मुझ सहित दुनिया भर में कई लोगों के गुरु, मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक रहे हैं. उन्होंने भारत के विकास में असंख्य, स्थायी योगदान दिया है. वह इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. पित्रोदा उन मुद्दों पर खुलकर अपनी राय व्यक्त करते हैं जिनके बारे में वे दृढ़ता से महसूस करते हैं. निश्चित रूप से, लोकतंत्र में एक व्यक्ति अपने व्यक्तिगत विचारों पर चर्चा करने, व्यक्त करने और बहस करने के लिए स्वतंत्र है. इसका मतलब यह नहीं है कि पित्रोदा के विचार हमेशा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थिति को दर्शाते हैं. कई बार वे ऐसा नहीं करते.”
उन्होंने आगे कहा, “अब उनकी टिप्पणियों को सनसनीखेज बनाना और उन्हें संदर्भ से बाहर करना श्री नरेंद्र मोदी के दुर्भावनापूर्ण और शरारती चुनाव अभियान से ध्यान हटाने का जानबूझकर और हताश प्रयास है; यह केवल झूठ और अधिक झूठ पर आधारित है.”
भारत में 1948 से 1952 तक भूदान आंदोलन चलाया गया है। विनोबा भावे द्वारा चलाई गए इस आंदोलन में लोगों ने स्वेच्छा से अपनी जमीन का दान कर दिया था। भारत में 1985 तक विरासत कर लगता था। हालांकि राजीव गांधी की सरकार में इसे खत्म कर दिया गया। तब तत्कालीन वित्त मंत्री वी.पी. सिंह ने कहा था कि इस टैक्स को समाज में संतुलन और धन के अंतर को कम करने के लिए लाया गया था। हालांकि यह ऐसा करने में सफल नहीं हुआ। उनका करना था कि सरकार इसे नेक इरादे के साथ लेकर आई थी लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में यह सही नहीं है।