छत्तीसगढ़

इन चार राज्यों के पास है जीत की चाबी, 2024 में मोदी इन महापुरुष के रिकॉर्ड की बराबरी कर पाएंगे या नहीं…

नई दिल्ली:– एक मई को 7वें और आखिरी चरण के लिए वोटिंग होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत बीजेपी के तमाम नेता इस बार 400 पार सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं। वहीं विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A भी अपनी जीत का दावा कर रहा है। देश की सत्ता हासिल करने के लिए 272 सीटें जीतने की जरूरत है। बीजेपी 2014 और फिर 2019 में भारी बहुमत के साथ सत्ता में आई। भारत में लोकतंत्र चुनाव में बहुमत हासिल करने का रास्ता कुछ राज्यों से होकर जाता है। इसमें यूपी, बिहार जैसे राज्य शामिल हैं। भारत के अलावा अमेरिका और अन्य देशों में भी बहुमत का गणित अलग ही है। आखिर देश में सरकार बनाने के लिए बहुमत का गणित क्या है? क्या मोदी देश के पहले पीएम नेहरू के रिकॉर्ड की बराबरी कर पाएंगे? आइए समझते हैं।

समझिए अमेरिका का चुनावी गणित

उदाहरण के लिए अमेरिका को ले सकते हैं, जो दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र है। अमेरिका के तीन प्रमुख स्विंग स्टेट मिशिगन, विस्कॉन्सिन और पेंसिल्वेनिया में 77,744 अतिरिक्त वोट हासिल करके डोनाल्ड ट्रंप 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में हिलेरी क्लिंटन को हराने में सक्षम थे। इसके बाद भी कुल मिलाकर ज्यादा अमेरिकियों ने ट्रंप की तुलना में क्लिंटन को वोट दिया था। कुक पॉलिटिकल रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में 2024 का राष्ट्रपति चुनाव छह स्टेट राज्यों पर निर्भर करेगा। ये स्टेट एरिजोना, जॉर्जिया, मिशिगन, नेवादा, पेंसिल्वेनिया और विस्कॉन्सिन हैं। अगला राष्ट्रपति जो बाइडेन होगें या डोनाल्ड ट्रंप, यह सब इस बात पर निर्भर करेगा कि इन छह ‘स्विंग स्टेट’ में कौन बहुमत हासिल करता है।

भारत में 4 राज्यों से जाता है बहुमत का रास्ता

इधर भारत में भी ऐसी ही स्थिति बन रही है, जहां ‘बहुमत जीतना’ कुछ राज्यों पर निर्भर करता है। खास तौर पर 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद से। 2019 में बीजेपी ने 543 लोकसभा सीटों में से 303 सीटें जीतीं। पॉलिटिकल मैप पर नजर डालने से हमें 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन की जीत की बुनियादी जानकारी मिलती है। क्या एनडीए 2024 के लोकसभा चुनावों में भी अपना प्रदर्शन दोहराएगा, बेहतर प्रदर्शन करेगा या फिर बहुमत खो देगा? इसका जवाब काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि वह 28 राज्यों और आठ केंद्र शासित प्रदेशों में से सिर्फ चार में कैसा प्रदर्शन करता है।

इन चुनावी फॉर्म्युले से समझिए पूरी बात

इस चुनावी गणित को आसान भाषा में समझने के लिए हम चुनावी विश्लेषक यशवंत देशमुख के 100-200-243 फॉर्म्युला का इस्तेमाल करते हैं। इसके लिए, हम राज्यों को तीन श्रेणियों में बांटते हैं। पहली श्रेणी में वो राज्य जहां बीजेपी मुख्य रूप से चुनावी जंग में नहीं है, दूसरे में जहां बीजेपी पूरी तरह से हावी है और तीसरी श्रेणी में वो राज्य जहां बीजेपी क्षेत्रीय दलों के साथ कड़ी टक्कर में है।

दक्षिण के राज्यों में बीजेपी कर रही संघर्ष

चार दक्षिणी राज्यों तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल और तेलंगाना में बीजेपी अभी भी अपनी छाप छोड़ने के लिए संघर्ष कर रही है। पिछले दो लोकसभा चुनावों में पार्टी यहां 101 में से केवल चार सीटें ही जीत पाई थी। हालांकि, इस बार बीजेपी को अपनी सीटों की संख्या में बढ़त होने की उम्मीद है। मुख्य रूप से तेलंगाना में, लेकिन इसका पूरे देश की चुनावी तस्वीर पर बहुत ज्यादा असर पड़ने की संभावना नहीं है।

बीजेपी बनाम कांग्रेस

मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी कांग्रेस के साथ सीधे चुनावी लड़ाई में आगे है। राज्यों में कांग्रेस के साथ आमने-सामने की लड़ाई में, बीजेपी ने 2019 में 138 लोकसभा सीटों में से 133 और 2014 में 138 में से 121 सीटें हासिल कीं। यहां तक कि उन राज्यों में भी जहां भाजपा और कांग्रेस ने अपने गठबंधन सहयोगियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, बीजेपा ने देश की सबसे पुरानी पार्टी के खिलाफ शानदार सफलता हासिल की।

इन छह राज्यों में से, उत्तर प्रदेश में बीजेपी बहुत ही मजबूत स्थिति में है, जैसा कि जनमत सर्वे और जमीनी रिपोर्टों से पता चलता है। इस बार समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी अलग-अलग लड़ रही हैं, जैसे 2014 में थीं। उस साल जब SP और BSP का गठबंधन नहीं था, बीजेपी ने 80 में से 71 लोकसभा सीटें जीती थीं। 2024 में उम्मीद है बीजेपी की सीट नहीं भी बढ़ी फिर भी वो कम से कम अपनी 2019 की 62 सीटों की संख्या को दोहराएगी।

वहीं पंजाब में बीजेपी कोई बड़ी पार्टी नहीं है। इसलिए, हमारे पास चार राज्य बचते हैं- महाराष्ट्र पश्चिम बंगाल बिहार और ओडिशा । 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने कुल 151 सीटों में से 66 सीटें जीती थीं। लेकिन इस बार महाराष्ट्र में दो शिवसेना और दो एनसीपी हैं।

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