कौन होगा BJP का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष? महिला, दलित या ओबीसी, ये है जरूरी योग्यता
नई दिल्ली : भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के केंद्रीय मंत्री बन जाने के बाद अब देश में नए भाजपा अध्यक्ष बनाने की चर्चा शुरू हो गई है। राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं जारी हैं। कई नेताओं के नाम भाजपा के इस सर्वोच्च पद के लिए उछाले जा रहे हैं। जेपी नड्डा का कार्यकाल भी जून माह से पूरा जाएगा। इसी साल महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले भाजपा को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी किसी नेता को सौंपनी पड़ सकती।
इसकी प्रक्रिया कुछ ही दिनों में शुरू होने की संभावना जताई जा रही है। कहा यह भी जा रहा है कि पूर्णकालिक अध्यक्ष के चुनाव तक कार्यकारी अध्यक्ष के मनोनयन पर भी भाजपा विचार कर रही है। इस बात की पूरी संभावना है कि भाजपा ओबीसी, दलित और महिलाओं तक अपनी पैठ बढ़ाने के बारे में फिर से सोच सकती है। लेकिन सियासी हलकों में जिस बात की चर्चा सबसे ज्यादा है वह यह कि नए भाजपा अध्यक्ष का पद उसी व्यक्ति को मिल सकता है जिसका आरएसएस से गहरा नाता होगा। उन्हें ही इस पद की जिम्मेदारी दी जाएगी।
यह बात उभरकर क्यों आ रही है इसके पीछे की वजह यह भी कहा जा रहा है कि जेपी नड्डा की उस टिप्पणी से आरएसएस काफी आहत है जिसमें उन्होंने कहा था कि भाजपा इतनी शक्तिशाली हो गई है कि आरएसएस के समर्थन के बिना भी चल सकती है। संगठन और सरकार में एक साथ काम करने वाले व्यक्ति पर कोई रोक नहीं है, लेकिन भाजपा में एक व्यक्ति-एक पद की नीति का पालन करने की परंपरा रही है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद महिला को?
अटकलें यह भी लगाई जा रही हैं कि भाजपा द्वारा हाल के दिनों में महिलाओं पर दिए गए जोर को ध्यान में रखते हुए किसी महिला को भी पार्टी प्रमुख बनाया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी लगातार तीन जीत में महिला मतदाताओं की निर्णायक भूमिका को स्वीकार किया है। लेकिन सच यह भी है कि अभी तक किसी महिला ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद नहीं संभाला है।
इस समय संगठन में महिला सदस्यों की संख्या बढ़ाने के लिए व्यापक संपर्क अभियान की योजना भाजपा बना रही है। महिला कोटा अधिनियम के अनुसार लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। संभवतः 2029 के लोकसभा चुनाव तक इसे लागू किया जा सकता है। ऐसे में यह बात और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
विनोद तावड़े और सुनील बंसल के नाम पर चर्चा
इस पद के लिए दो नामों की अटकलें लगाई जा रही हैं। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े और सुनील बंसल। विनोद तावड़े, महाराष्ट्र से आते हैं और राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखने से पहले राज्य सरकार में मंत्री थे। वर्तमान में वह बिहार के प्रभारी हैं और लोकसभा चुनाव के दौरान कई प्रमुख जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
वहीं सुनील बंसल जब यूपी के प्रभारी थे तब उनके काम की काफी चर्चा हुई। यूपी के बाद, बंसल को पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना का प्रभारी बनाया गया। लोकसभा चुनाव के दौरान बंसल ने देश भर में कॉल सेंटरों को भी संभाला, फीडबैक एकत्र किया और जमीन पर पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रेरित किया।
भाजपा अध्यक्ष के लिए संघ की रजामंदी जरूरी
इसके साथ ही चर्चा इस बात की भी है कि यूपी जहां पार्टी का प्रदर्शन ठीक नहीं है क्या वहां से किसी को पार्टी की कमान मिल सकती है। लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं था ऐसे में नए अध्यक्ष की नियुक्ति में संघ की रजामंदी भी काफी मायने रखती है। पिछली सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री रहे अनुराग ठाकुर को इस बार मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं किया गया है, उन्हें भी पार्टी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है। कुछ जगहों पर ओम माथुर, अनुराग ठाकुर का नाम भी चल