अल्दा में शिक्षक की कमी बनी शाला प्रवेशोत्सव बहिष्कार का कारण
खरोरा। रायपुर जिला के राजधानी से लगे हुए विखं तिल्दा. ब्लॉक के अल्दा में शिक्षक की कमी होने से शाला प्रवेशोत्सव का बहिष्कार एवं दिनाँक 08.07.2024 को शाला में तालाबंदी करने की सूचना दिया गया।
ग्राम पंचायत अल्दा के शिक्षक की मांग को लेकर जिलाधीश व विधायक को भी कई बार आवेदन दे चुके है लोगो ने बताया कि बहुत पहले से हाई स्कूल का हायर सेकेंडरी के रूप में हो गया है परन्तु शिक्षक की कमी है। महज 4 से 5 शिक्षक ही पदस्थ होने के कारण परेशानी हो रही है, लोगों की मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया था। इसलिए जिलाधीश को फिर सेआवेदन दिया गया है।
शिक्षकों की कमी के चलते छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। सरकार की शिक्षा व्यवस्था को गुणवत्ता पर लाने के तमाम दावों की पोल अल्दा
में खुल रही है। स्कूल में गणित और फिजिक्स जैसे महत्वपूर्ण विषय के अध्यापकों के पद रिक्त होने से 5 सौ के लगभग छात्राओं का भविष्य भी अंधकार में है। स्कूल में छात्राओं की पढ़ाई नहीं हो रही है। जिसके कारण कई छात्राओं ने स्कूल में आना भी बंद कर दिया है। सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए डोर टू डोर तक अभियान भी चलाया था। मगर अध्यापकों की कमी के कारण बच्चों को सरकारी स्कूल छोड़ने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
क्या कहते हैं अभिभावक
गांव के अभिभावक बताया कि स्कूल में पिछले दो तीन सालो से दोनों विषयों के अध्यापक नहीं है, जो कक्षा 9वीं से 12वीं तक पढ़ाते हैं। वहीं कक्षा छठी से आठवीं तक शिक्षा की कमी हैं। अधिकारियों को कई बार लिखित में मांग पत्र देकर अध्यापकों की स्कूल में कमी को पूरा करने को लेकर गुहार लगाई जा चुकी है। इसके बावजूद समस्या का समाधान नहीं हुआ। जिससे छात्राओं को स्कूल में खाली बैठकर अपने घर आना पड़ रहा है।
जिला शिक्षा अधिकारी को भेजा है लिखित पत्र
हायर सेकेंडरी स्कूल माध्यमिक विद्यालय अल्दा के प्रिंसिपल एंव इंचार्ज. प्रेम पृथ्वी पर लेवी लकड़ा सर ने बताया कि पिछले दो तीन सालो से गणित के विषयों को पढ़ने के लिए गांव की ओर से रखा गया है, जिला शिक्षा अधिकारी को उक्त पदों पर अध्यापकों की नियुक्ति करने को लेकर लिखित पत्र भेजा जा चुका है। उपरोक्त विषयों के अध्यापक स्कूल में नहीं होने के कारण शिक्षा प्रभावित हो रही है।
शिक्षा नीति पर काम करने के लिए भरसक प्रयास कर रही है। किंतु स्कूलों में छात्राओं को पढ़ाने के लिए सरकार के पास अध्यापक तक नहीं है, ऐसे हालातों के चलते दूसरे राज्य की शिक्षा नीति का मुकाबला नहीं किया जा सकता। कहा जा सकता है की अध्यापकों के रिक्त पदों से बेटियां आगे नहीं बढ़ पा रही है जबकि सरकार शिक्षा सुधार में करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा रही है।