छत्तीसगढ़

महंगाई भत्ता व पेंशन के मुद्दे पर मुख्यमंत्री से पेंशनर्स महासंघ की मुलाकात, सीएम ने दिया आश्वासन, बोले…

रायपुर, । मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से आज यहां उनके निवास कार्यालय में “भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ प्रदेश” के प्रतिनिधिमंडल ने सौजन्य मुलाकात की। मुख्यमंत्री श्री साय को प्रतिनिधिमंडल ने एक ज्ञापन सौंपा और अपनी मांगों से अवगत कराया। मुख्यमंत्री ने उनकी मांगों पर विचार कर उचित कार्यवाही करने आश्वस्त किया

महासंघ के प्रतिनिधि मंडल को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने उनके निवास में भेंट के दौरान विगत 23 वर्षों से लम्बित मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49 को विलोपित कर राज्य की बुजुर्ग पेंशनरों को मध्यप्रदेश सरकार पर आर्थिक निर्भरता से मुक्ति दिलाने और जनवरी 24 से बकाया 4% महंगाई राहत प्रदान करने पर शीघ्र निर्णय लेने का भरोसा दिलाया।इस अवसर पर पेंशनर्स महासंघ के प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री को मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49(6) को विलोपित करने तथा 4% महँगाई राहत देने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा।इसे लेकर मध्यप्रदेश सरकार से सहमति की अनिवार्यता से छुटकारा पाने के लिए त्वरित कार्यवाही करने की मांग की है।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि इन मामलों पर अधिकारियों से खुद चर्चा करने बाद पेंशनर्स महासंघ से भी जिम्मेदार अधिकारियों के साथ बैठक कराने का आश्वासन दिया।प्रतिनिधि मंडल में भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ के प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव के साथ बस्तर संभाग के अध्यक्ष आर एन ताटी के साथ बस्तर के पेंशनर नेता क्रमशः डी रामन्ना राव, किशोर कुमार जाधव, एस पी ठाकुर, दिनेश कुमार सतमन, मीता मुखर्जी, जयमनी ठाकुर, सरोज साहू, पी एस ठाकुर, धरम सिंह मंडावी तथा पेंशनर्स महासंघ के प्रमुख पेंशनर नेता कार्यकारी प्रांताध्यक्ष जे पी मिश्रा, महामंत्री अनिल गोल्हानी, कोषाध्यक्ष बी एस दसमेर, राजपुर जिला के अध्यक्ष आर जी बोहरे आदि शामिल रह

पेंशनरों ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद से पेंशनरों की प्रमुख समस्या राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 के तहत पेंशनरी दायित्वों का बंटवारा नही होने से हर आर्थिक भुगतान के लिये मध्यप्रदेश शासन से सहमति लेना अनिवार्य मजबूरी बना हुआ है, सम्प्रति पेंशनरो की महंगाई राहत की राशि की किस्त केंद्र में 50℅प्रतिशत हो गया है और यहां पेंशनरों को केवल 46℅ पर रोककर रखे हुए हैं. जबकि प्रदेश में ही भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी और बिजली विभाग के अधिकारी कर्मचारी को राज्य के बजट से 50% महंगाई भत्ता का भुगतान किया जा रहा है। एक ही राज्य में दोहरी नीति राज्य के पेंशनरों के साथ घोर अन्याय है।

देश के बहुतायत राज्य भी अपने राज्य में आदेश कर पेंशनरो को 50% के दर से भुगतान भी कर चुके हैं छत्तीसगढ़ राज्य के लगभग सवा लाख से अधिक पेन्शनर और परिवार पेंशनर महंगाई से त्रस्त दोनों राज्य सरकारों के बीच सहमति असहमति के बीच पिसा जा रहा है।राज्य विभाजन के बाद से पेंशनरों को महंगाई राहत (डीआर) की किस्त देने के लिए वित्त विभाग छत्तीसगढ़ शासन को आदेश जारी करने हेतु मध्य प्रदेश राज्य पुर्नगठन अधिनियम 2000 के धारा 49(6) के परिपालन में दोनों राज्यों के बीच आपसी सहमति जरूरत होगी। जिसमें दोनों राज्यों के बीच 74:26 के अनुपात में बजट का आबंटन के बाद ही पेंशनर्स हेतु दोनों राज्यों में समान दर और समान तिथि से आदेश जारी होते हैं। जैसा कि हमेशा से होता आया है। इसलिए छत्तीसगढ़ सरकार को बिना देर किए मध्यप्रदेश शासन से सहमति हेतु पत्राचार करना चाहिए। मुख्यमंत्री को बताया गया कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ शासन के बीच पेंशनरी दायित्व के बंटवारे नहीं होने से मध्यप्रदेश सरकार को आर्थिक फायदा है,इसलिए मध्यप्रदेश शासन धारा 49 को वर्षो से जानबूझकर टालती आ रही हैं। पेंशनरी दायित्वों का बंटवारा नहीं होने से छत्तीसगढ़ शासन को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है।इसे संज्ञान में लेकर जरूरी कार्यवाही करने का अनुरोध किया गया।

प्रतिनिधिमंडल में वीरेंद्र नामदेव, जे.पी. मिश्रा,अनिल गोल्हानी, बी.एस. दसमेर, आर.एन. ताटी, आर. जी. बोहरे, किशोर कुमार जाधव, एस.पी. ठाकुर, दिनेश कुमार सतमन, मिता मुखर्जी, जयमनी ठाकुर, सरोज साहू, पी. एस. ठाकुर, धरमसिंग ठाकुर एवं आर.के. दीक्षित शामिल थे।

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