छत्तीसगढ़

मंत्री ओपी चौधरी की भ्रष्टाचार पर “जीरो टॉलरेंस”, एकलव्य खेलकूद प्रकल्प में भ्रष्टाचार पर कार्यपालन अभियंता नपे, तीन अफसरों को शो-कॉज, शिकायत पर आयुक्त को दिया था जांच का आदेश

रायपुर । ओपी चौधरी ने जब से मंत्री पद संभाला है, तभी से विभागों में काम काज का तरीका बिल्कुल ही बदल गया है। वित्त से लेकर आवास-पर्यावरण और वाणिज्यिक कर से लेकर सांख्यिकी विभाग तक, हर जगह कामों में पारदर्शिता और पूर्ण जवाबदेही साफ दिख रही है। ऐसे विभाग, जहां गड़बड़ियां और लापरवाहियां चरम पर होती थी, अब वहां भी सख्ती का असर साफ दिख रहा है। इसकी वजह मंत्री ओपी चौधरी की भ्रष्टाचार पर “जीरो टालरेंस” की नीति। हाल के दिनों में मंत्री ओपी चौधरी ने भ्रष्टाचार के मामले में मिली शिकायत पर बड़ा एक्शन लेते हुए हाउसिंग बोर्ड के तत्कालीन कार्यपालन अभियंता की जहां तत्काल प्रभाव से छुट्टी कर दी, वहीं तीन अधिकारियों को शो कॉज नोटिस जारी किया गया है।

क्या था पूरा मामला

दरअसल 15 करोड़ की लागत से वनवासी विकास समिति के लिए एकलव्य खेलकूद प्रकल्प परिसर तैयार होना था। छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड को इस कार्य के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया था। साल 2022 से निर्माण कार्य शुरू हुआ, लेकिन निर्माण के साथ ही इसमें भ्रष्टाचार का दीमक भी लग गया। गुणवत्ताहीन काम और भ्रष्टाचार की शिकायत सीधे मंत्री ओपी चौधरी के पास पहुंची। शिकायत की गंभीरता को देख, तुरंत मामले की जांच के लिए मंत्री ने हाउंसिंग बोर्ड के कमिश्नर कुंदन कुमार को निर्देश दिया। आईएएस कुंदन कुमार ने जांच शुरू की, भ्रष्टाचार की परत दर परत सामने आ गयी।

जांच में ये गड़बड़ियां आयी सामने

जांच के दौरान तत्कालीन कार्यपालन अभियंता संदीप साहू पर बिना प्रशासकीय स्वीकृति और तकनीकी स्वीकृति प्राप्त कार्य कराने, छलपूर्वक पूर्व में पीडब्ल्यूडी विभाग के द्वारा कर लिए गए कार्य की तकनीकी स्वीकृति प्राप्त करने, प्राक्कलन बिना सहायक अभियंता और उप-अभियंता के हस्ताक्षर के प्रस्तुत करने और स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स का कार्य बिना प्रशासकीय स्वीकृति एवं तकनीकी स्वीकृति करा लेने का दोषी पाया गया।

बिना सिविल वर्क पूरा किये फर्नीचर का भुगतान

आईएएस कुंदन कुमार की जांच में ये बातें भी सामने आयी कि अधिकारी ने फर्नीचर आदि की खरीदी के लिये ठेकेदार मेसर्स गणपति इन्फ्रास्ट्रक्चर, बिलासपुर को 1 करोड़ 35 लाख रुपये ज्यादा की राशि का भुगतान कर दिया। चौकाने वाली बात ये है कि 1,35,63,573.00 रूपये उस वक्त फर्नीचर के लिए दे दिये गये, जब सिविल कार्य भी पूरे नहीं हुए थे। यही नहीं ठेकेदार को उक्त प्रयोजन से भुगतान किये जाने पूर्व निक्षेपदाता विभाग अथवा संस्था जिसे निर्मित भवन हस्तांतरित किया जाना था। लेकिन वनवासी विकास समिति से सहमति तक प्राप्त नहीं की गई। तत्कालीन कार्यपालन अभियंता संदीप साहू ने सामग्रियों को राशि के भुगतान से पूर्व सामग्रियों की वास्तविक कीमत तथा उसकी गुणवत्ता का सत्यापन न कराते हुए मनमाने ढंग से ठेकेदार को भुगतान कर दिया और शासन को लाखों रुपये का चूना लगा दिया।

जांच रिपोर्ट पर मंत्री ने लिया तुरंत एक्शन

हाउसिंग बोर्ड के कमिश्नर कुंदन कुमार की रिपोर्ट पर मंत्री ओपी चौधरी ने तुरंत ही एक्शन लिया। उन्होंने तत्काल कार्यालय अभियंता संदीप साहू को सस्पेंड करने का आदेश दिया, वहीं कार्यपालन अभियंता नीतू गणवीर, सहायक अभियंता ताराचंद सिन्हा और उप अभियंता राजकुमार परस्ते को शो कॉज नोटिस जारी किया है।

 

 

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