ग्राम करमा में भोजली पर्व का आयोजन, श्री कृष्ण जन्माष्टमी को होगा विसर्जन..
रवि कुमार तिवारी,
भैंसा/ करमा : हमारे सनातन व्यवस्था मे हमारे प्रदेश की पारम्परिक त्यौहारो का आगमन हरेली से शुरू हो गयी है इस कड़ी मे 19 अगस्त से ग्रामीण अंचल की प्रसिद्ध त्यौहार भोजली का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास से जगह-जगह मनाया जा रहा है यह त्यौहार प्रति वर्ष नई फसल के कार्य पूर्ण होने पर मनाया जाता है भोजली रक्षाबंधन के दूसरे दिन से बोया जाता है जो अष्टमी /नवमी तक चलता है कृष्ण जन्माष्टमी को इसका विसर्जन होता है और पुनः जन्माष्टमी को भी भोजली का पर्व स्थापित करते है जिसकी विदाई पोला पर्व को होता है अंचल मे भोजली को एक देवी के रूप मे पूजा जाता है और छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध गायन भोजली गीत का मंचन सेवा के माध्यम से गाँव के बुजुर्ग महिला बच्चे मिलकर करते है यह पर्व अपने आप मे हमारे प्रदेश के वनाआंचल मे सपनी विशेष भूमिका रखता है साथ ही प्रदेश के सभी ग्रामीण अंचलो मे इसका विविध आयोजन किया जाता है इस त्यौहार ने नवरात्रि के भांति ही बिरही (जौ, चना, गेहूं, तिल,) आदि बीज के मिश्रण को खेत बनाकर बुवाई कर आराधना की जाती है मान्यता है जैसे इस फ़सल की उन्नत होती है अर्थात फ़सल स्वस्थ होता है वैसे ही कार्य सफलता और माता रानी का आशीर्वाद और प्रसन्नता मानी जाती है इस सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखने का कार्य आज हमारे ग्राम करमा मे देवचरण वर्मा की अगुवाई मे महिलाओ द्वारा पिछले वर्ष से आयोजन किया जा रहा है आज पंचम दिवस था इस आयोजन मे मुख्य रूप से रघुनाथ वर्मा, अशोक यादव, सरोजनी वर्मा, राजेवरी वर्मा, गोमती निषाद, ईश्वरी वर्मा, भीखम दास, अमन वर्मा, दीपक यादव (दुकालू ) आदि लोगो का इस परम्परा को सजोने मे विशेष योगदान रहा है