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Hartalika teej 2024 : हरतालिका तीज का व्रत कैसे करें? जानिए सुबह से लेकर अगले दिन पारण तक क्या करें…

भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है। इस वर्ष यह व्रत 06 सितंबर 2024 दिन सोमावर को किया जा रहा है। महिलाओं के लिए करवा चौथ के बाद यह सबसे महत्वपूर्ण व्रत है।

इस बहुत ही कड़े व्रत के साथ ही कठिन नियमों का पालन करते हैं। आओ जानते हैं कि इस व्रत में क्या करते हैं।

  • तीज के दिन निर्जला व्रत रखकर विधिपूर्वक पूजा करने का विधान है।
  • तिथि के प्रारंभ ने से पूर्व ही अन्न जल का त्याग कर दिया जाता है।
  • सूर्योदय के बाद नित्यकर्म से निवृत्त होकर पूजा की शुरुआत होती है।
  • व्रत का संकल्प लिया जाता है और तब विधिवत पूजा का प्रारंभ होता है।
  • इस दिन महिलाएं बालू और मिट्टी का शिवलिंग बनाकर पूरे दिन और रात में पूजा करती हैं।
  • इस दिन शिवजी की आठों प्रहर पूजा होती है। दिन के चार और रात्रि के चार प्रहर पूजा होती है। इसलिए रातभर जागरण करना होता है।

1. कड़ा व्रत : हरतालिका तीज के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन न कुछ खाती हैं और न ही जल ग्रहण करती हैं। हरतालिका तीज के दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए सामान्य व्रत रखती हैं।

2. बालू या मिट्टी के शिवलिंग : इस महिलाएं भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू रेत व काली मिट्टी की प्रतिमा अपने हाथों से बनाकर कर पूजा करती हैं।

3. आठ प्रहर शिवलिंग पूजा : महिलाएं शिव, पार्वती, गणेशजी की आठों प्रहर पूजा करती हैं। यानी दिनभर और रातभर पूजा होती है। पूजा में पंचामृत, मिठाई, फल, फूल, नारियल, कपूर, कुमकुम, सुपारी, सिंदूर, अबीर, चन्दन, लकड़ी की चौकी, पीतल का कलश, साथ ही कर्पूर, अगरु, केसर, कस्तूरी और कमल के जल, आम, गन्ने का रस आदि सामग्री होती है।

4. जागरण : इस व्रत में महिलाओं को रातभर जागना होता है। जागकर पूजा, भजन और कीर्तक किया जाता है।

5. कथा श्रवण : इस व्रत के दौरान हरतालिका तीज व्रत कथा को सुनना जरूरी होता है। मान्यता है कि कथा के बिना इस व्रत को अधूरा माना जाता है।

6. फुलेरा : फूल-पत्तियों, जड़ी-बूटियों और बांस से झुले जैसा दो फुलहरा बनाते हैं जो माता पार्वती और शिवजी को अर्पित किए जाते हैं।

7. सोलह पत्तियां : शिव, पार्वती और गणेशजी को बिल्वपत्र, जातीपत्र, सेवंतिका, बांस, देवदार पत्र, चंपा, कनेर, अगस्त्य, भृंगराज, धतूरा, आम पत्ते, नीम, अशोक पत्ते, पानपत्ते, केले के पत्ते और शमी पत्ते अर्पित किए जाते हैं।

8. सुहाग पिटारा : माता को सुहाग के 2 पिटारा अर्पित किए जाते हैं जिसमें बिंदी, चूड़ी, बिछिया, मेहंदी, आदि 16 श्रृंगार के सामान होते हैं।

9. भोग : माता पार्वती को खीर, शहद, हलवे, गुड़ और घी की चीजों का भोग लगाकर दान किया जाता है।

10. पारण : शिवजी, माता पार्वती और गणेशजी प्रतिमा को सुबह विधिवत विसर्जित के बाद पारण किया जाता है।

व्रत की विधि : Hariyali Teej Puja VIdhi

• तीज के दिन निर्जला व्रत रखकर विधिपूर्वक पूजा करने का विधान है।

• हरियाली तीज के दिन व्रत का संकल्प लेकर महिलाएं माता की चौकी को सजाती हैं और खुद भी सजती हैं।

• हरियाली तीज के दिन महिलाएं सुबह घर के काम और स्नान करने के बाद सोलह श्रृंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं।

• महिलाएं शिवजी और पार्वतीजी की षोडशोपचार पूजा यानी की 16 प्रकार की सामग्री से पूजा करती हैं।

• इसमें हल्दी, कुंकू, मेहंदी, गंध, पुष्प, नैवेद्य, माला, पान आदि सभी पूजन सामग्री अर्पित करती हैं।

• पूजा की सामग्री अर्पित करके के बाद दोनों की आरती उतारी जाती है।

• नैवेद्य अर्पण करने के बाद लोगगीत गाती है। झूला झूलती हैं और खुशियां मनाती हैं।

• इस दिन व्रत के साथ-साथ शाम को व्रत की कथा सुनी जाती है। कथा के समापन पर महिलाएं मां गौरी से पति की लंबी उम्र की कामना करती है।

• इसके बाद घर में उत्सव मनाया जाता है और भजन व लोक नृत्य किए जाते हैं।

• इस दिन महिलाएं पूरा दिन बिना भोजन-जल के दिन व्यतीत करती हैं तथा दूसरे दिन सुबह स्नान और पूजा के बाद व्रत पूरा करके भोजन ग्रहण करती हैं।

• इस दिन स्त्रियों के मायके से श्रृंगार का सामान और मिठाइयां उनके ससुराल भेजी जाती है।

• इस त्योहार में स्त्रियां हरा लहरिया न हो तो लाल, गुलाबी चुनरी में भी सजती हैं, गीत गाती हैं, मेंहदी लगाती हैं, श्रृंगार करती हैं, नाचती हैं।

• हरियाली तीज के दिन अनेक स्थानों पर मेले लगते हैं और माता पार्वती की सवारी बड़े धूमधाम से निकाली जाती है।

• इस दिन हरे वस्त्र धारण करना, हरी चुनरी, हरा लहरिया, हरा श्रृंगार, मेहंदी लगाना, झूला-झूलने का भी रिवाज है। जगह-जगह झूले पड़ते हैं।

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