दुर्ग। एक तरफ डीएलएड अभ्यर्थी जहां नौकरी की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल और प्रदेश भर में प्रदर्शन कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ बीएड के अभ्यर्थी भी अपने नौकरी बचाने की गुहार लगा रहे हैं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद डीएलएड अभ्यर्थी को ही प्राथमिक शिक्षक के लिए योग्य बताया गया है। वहीं बीएड योग्यताधारी सहायक शिक्षकों को नौकरी से हटाने का आदेश दिया गया है।
लिहाजा छत्तीसगढ़ के करीब 3000 सहायक शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटक रही है। छत्तीसगढ़ में अब बीएड योग्यताधारी सहायक शिक्षक अपनी नौकरी बचाने की कवाय में जुटे हुए हैं। सहायक शिक्षकों ने आज दुर्ग सांसद विजय बघेल से मुलाकात की। सांसद ने भी सहायक शिक्षकों की मांगों को मुख्यमंत्री तक पहुंचाने की बात कही है।
शिक्षिकों ने कहा कि उन्होंने नियमावली के हिसाब से नौकरी पाई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अगर उन सभी की नौकरी चली जाती है तो वो आर्थिक एवं मानसिक सभी स्तर से टूट जाएंगे। भाजपा सांसद ने कहा कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है, विष्णु देव साय की सरकार है, जो भी फैसला लिया जाएगा सभी के हित में होगा।
आपको बता दें कि भर्ती नियम 2019 के राजपत्र में पारित नियमों के आधार पर सभी मानकों पर खरा उतरते हुए डीएलएड अभ्यर्थियों के साथ-साथ लगभग 2900 बीएड अभ्यर्थियों ने प्रावीण्य सूची में स्थान पाने के बाद नौकरी पायी है। सभी को सहायक शिक्षक के रूप में बस्तर एवं सरगुजा संभाग के सुदूर अंचलों में पदस्थ किया गया है।
जो लगभग 1 वर्ष से अपनी सेवा दे रहे हैं। लेकिन उच्चतम न्यायालय ने बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों को 2 अप्रैल 2024 को अमान्य कर दिया है जिससे बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षक और उनके परिवारों के आजीविका के साथ ही साथ इससे शिक्षित होने वाले विद्यार्थियों पर भी प्रभाव पड़ रहा है।