नगर पंचायत खरोरा का मामला सोमवारी बज़ार स्थानांतरण का पेंच लटका
खरोरा। नगर खरोरा में तेजी से वायरल होते एक वीडियो ने सोमवारी बाजार के स्थानांतरण की जानकारी को लेकर अचरज में डाल दिया है। मामले पर ज्यादा जानकारी के लिए आप सबको 14 नवंबर को हुई नगर पंचायत की बैठक का विवरण जानना होगा, दरअसल 14 तारीख को विभिन्न प्रस्ताव पर बैठक के लिए नगर पंचायत के सभी पार्षद गण, प्रशासनिक अधिकारी बैठे हुए थे जहां पर प्रस्ताव कंडिका 12 और 13 पर विवाद की स्थिति बन जाती है, क्योंकि इस क्रम संख्या में जो विषय रखे होते हैं उस पर विपक्ष सहमत नहीं होता, आखिर वह प्रस्ताव क्या थे, यह भी जानते हैं दरअसल कंडिका 12 पर किसी गौ सेवा संस्था को दो एकड़ सरकारी जमीन आवंटित करने का प्रस्ताव होता है और 13 नंबर कंडिका में खरोरा सोमवार बाजार को स्थानांतरित करने का प्रस्ताव रहता है, जिस पर चर्चा के दौरान सत्ता रूढ़ भाजपा और विपक्ष के कांग्रेस पार्षदों में ठन जाती है!
दरअसल नगर पंचायत में पहले से ही कांग्रेस शासन काल के समय से गौठान बना हुआ है जहां गौधन की सेवा करने की बात कहते हुए कांग्रेसी पार्षद व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाते हुए गौसेवा संस्था को जमीन देने वाली प्रस्ताव का विरोध करते हैं।
जानकारी के अनुसार इस प्रस्ताव के समर्थन में नगर पंचायत अध्यक्ष अनिल सोनी समेत 4 अन्य पार्षद, रश्मि वर्मा, कांति भूपेंद्र सेन, पंच राम यादव और तोरण ठाकुर ने सहमति जताते हैं, जिसके विरोध में कांग्रेसी व निर्दलीय पार्षदों की आपत्ति दर्ज होती है, जिनमें नगर पंचायत उपाध्यक्ष पन्ना देवांगन, सुरेंद्र गिलहरे, मोना बबलू भाटिया, भरत कुंभकार, भारती संत नवरंगे, जुबेर अली, राहुल मरकाम और नीलम समिष अग्रवाल शामिल रहते हैं, दो अन्य पार्षद कपिल नशीने और पूर्णेंद्र पाध्याय अनुपस्थित रहते हैं।
कांग्रेसी पार्षदों का आरोप है की जब सर्व सम्मति से इन दो प्रस्तावों को खारिज कर दिया गया जिनमें सोमवार बाजार का स्थानांतरण भी शामिल था, ऐसे में बाजार अन्यत्र स्थानांतरित करने आमजन को गलत जानकारी फैलाने का आरोप कांग्रेस पार्षदों ने लगाया है! इसीलिए माईक लेकर लोगों को सही जानकारी देने की बात पार्षद पति रविंदर बबलू भाटिया कह रहे हैं, जो की युवा कांग्रेस के पूर्व महासचिव भी रहे हैं और लगातार नगर की राजनीति में सक्रिय हैं।
बताते चलें कि नगर की सबसे बड़ी पहचान खरोरा की गुरुवारी बाजार वैसे ही अपना अस्तित्व खो चुकी है जो अब तक तीन जगह पर स्थानांतरित होकर अपने पूर्व वैभव से काफी नीचे आ चुकी है, वर्तमान में नगर से 2 किलोमीटर दूर बाजार लगने के चलते ग्रहणी जरूरत की सामानों के लिए अब गुरुवार बाजार का रुख नहीं करती तो वहीं सोमवारी बाजार नगर के बीचो-बीच स्थित होने के चलते महिलाएं आसानी से सब्जी भाजी और जरूरत के सामान खरीदने पैदल पहुंच जाती हैं लेकिन वहां भी जगह कम पड़ने के कारण बाजार मुख्य सड़क तक फैल जाता है जिससे लोगों को चलने में कठिनाइयां होती है पर कम दूरी की सहूलियत तो है, कांग्रेस के पार्षदों ने आरोप लगाया है की बाजार को हटाने के बाद उक्त जमीन पर किसी तरह के शासकीय निर्माण की कोई जानकारी सदन में नही दी गई!
आने वाले दिनों में निकाय चुनाव है, ऐसे में विपक्ष के लिए कब क्या बड़ा मामला बन जाए कहा नही जा सकता, इस मुद्दे को लेकर प्रदेशवाद ने नगर पंचायत अध्यक्ष और प्रशासनिक अधिकारी CMO से भी संपर्क साधा पर उनसे बात नही हो सकी! अब देखना होगा बाजार और गौसेवा के लिए जमीन देने का मामला नगर की राजनीति में क्या गरमाहट पैदा करती है!