महाकुंभ के दौरान पड़ने वाली महाशिवरात्रि और माघ पूर्णिमा पर स्नान अमृत स्नान नहीं क्यों? जानिए
महाकुंभ 2025: महाकुंभ का तीसरा अमृत स्नान सम्पन्न हो चुका है। बसंत पंचमी के दिन लाखों श्रद्धालुओं ने अमृत स्नान किया। अक्सर देखा गया है कि कुंभ या महाकुंभ में पांच शाही स्नान होते थे लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है।
महाकुंभ स्नान का महत्व
महाकुंभ का आयोजन केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं बल्कि भारतीय परंपराओं, संस्कृति और आध्यात्मिकता का अद्वितीय उत्सव भी है। इस दौरान साधु संत और अन्य श्रद्धालु संगम पर स्नान कर, पूजा-अर्चना कर और विभिन्न धार्मिक गतिविधियों में भाग लेकर आत्मिक शांति और आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करते हैं। कुंभ का यह पवित्र पर्व न केवल पापों का नाश करता है, बल्कि आत्मा को शुद्ध करने का भी अवसर प्रदान करता है।
क्या कहते हैं ग्रह नक्षत्र
जब सूर्य मकर राशि में और गुरु ग्रह वृषभ राशि में होते हैं तब अमृत स्नान मान्य होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार मागह पूर्णिमा के दिन गुरु तो वृषभ राशि में विराजमान रहेंगे लेकिन सूर्य कुंभ राशि में गोचर कर जाएंगे इसलिए माघी पूर्णिमा का स्नान अमृत स्नान नहीं कहलाएगा। ठीक इसी तरह महा शिवरात्रि के दिन सूर्य कुंभ राशि में विराजमान रहेंगे। जिस वजह से महाशिवरात्रि का स्नान भी सामान्य है।
महाकुंभ के अगले स्नान की तिथियां
12 फरवरी (बुधवार)- स्नान, माघी पूर्णिमा
26 फरवरी (बुधवार)- स्नान, महाशिवरात्रि
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अवाम दूत उत्तरदायी नहीं है।