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रायपुर। माघ पूर्णिमा, जो वर्ष भर में पड़ने वाली बारह पूर्णिमाओं में से एक है, जिसका विशेष धार्मिक महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु और माता महालक्ष्मी को समर्पित माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान-पुण्य और पूजा का विशेष महत्व है। इस वर्ष माघ पूर्णिमा 12 फरवरी को मनाई जाएगी।
माघ पूर्णिमा के अवसर पर छत्तीसगढ़ के विभिन्न स्थानों पर भव्य मेलों का आयोजन किया जाता है। ये मेले न केवल धार्मिक आस्था को दर्शाते हैं, बल्कि स्थानीय संस्कृति और परंपरा को भी प्रदर्शित करते हैं। इन मेलों में सांस्कृतिक कार्यक्रम, झूले, दुकानें और अन्य मनोरंजन के साधन भी शामिल होते हैं।
प्रमुख मेलों की जानकारी-
शिवरीनारायण मेला- जांजगीर-चांपा जिले के शिवरीनारायण में माघ पूर्णिमा से 15 दिवसीय विशाल मेले का आयोजन होता है। यह मेला छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा और प्राचीन माना जाता है। श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में स्नान कर भगवान जगन्नाथ के दर्शन करते हैं।
राजिम माघी पुन्नी मेला- गरियाबंद जिले के राजिम में माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक 15 दिनों तक चलने वाला यह मेला आयोजित होता है। महानदी, पैरी और सोंढूर नदियों के त्रिवेणी संगम पर स्थित राजिम को ‘छत्तीसगढ़ का प्रयाग’ भी कहा जाता है। यहां कुलेश्वर महादेव और राजीवलोचन मंदिर प्रमुख आकर्षण का केंद्र हैं।
रुद्री मेला- धमतरी जिले के रुद्री में महानदी तट पर स्थित रुद्रेश्वर महादेव घाट पर माघ पूर्णिमा के दिन मेला लगता है। श्रद्धालु यहां स्नान कर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं।
कर्णेश्वर धाम मेला- धमतरी जिले के सिहावा स्थित कर्णेश्वर धाम में भी माघ पूर्णिमा के अवसर पर मेला आयोजित होता है, जहां भक्तजन स्नान और पूजा के लिए एकत्रित होते हैं।
डोंगापथरा मेला- धमतरी जिले के देवपुर क्षेत्र के डोंगापथरा नामक स्थान पर माघ पूर्णिमा के दिन मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें स्थानीय लोग बड़ी संख्या में शामिल होते हैं।
मेलों का सांस्कृतिक महत्व-
ये मेले न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करते हैं, बल्कि स्थानीय कलाकारों, व्यापारियों और कारीगरों के लिए आय का स्रोत भी बनते हैं। इन मेलों में स्थानीय व्यंजन, हस्तशिल्प और सांस्कृतिक प्रदर्शन भी देखने को मिलते हैं।
माघ पूर्णिमा पर विशेष स्नान का महत्व-
मान्यता है कि माघ पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए, श्रद्धालु बड़ी संख्या में इन मेलों में शामिल होते हैं।