छत्तीसगढ़दंतेवाड़ा

बस्तर संभाग में बौद्ध धर्म का नया अध्याय, थाईलैंड से लाई गई भगवान बुद्ध की प्रतिमा का भव्य अनावरण

हेमन्त कुमार साहू, 

बस्तर संभाग में बौद्ध धर्म का नया अध्याय, थाईलैंड से लाई गई भगवान बुद्ध की प्रतिमा का भव्य अनावरण

दंतेवाड़ा। जिले के किरंदुल में बस्तर संभाग का सबसे विशाल और भव्य नागार्जुन बुद्ध विहार अब शांति, करुणा और प्रज्ञा का प्रतीक बनकर उभरा है। हाल ही में इस विहार में थाईलैंड से लाई गई भगवान बुद्ध की मनमोहक प्रतिमा का अनावरण एक ऐतिहासिक समारोह के साथ संपन्न हुआ।

इस समारोह में नागपुर और बेंगलुरु से आए भंते संघ, एनएमडीसी के सीजीएम संजीव साही, और किरंदुल नगरपालिका अध्यक्ष रूबी सिंह ने संयुक्त रूप से प्रतिमा का अनावरण किया। यह आयोजन न केवल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए, बल्कि पूरे बस्तर संभाग के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण रहा।

नागार्जुन बुद्ध विहार: बस्तर का नया आध्यात्मिक केंद्र

किरंदुल के गांधीनगर की पहाड़ी पर एकांत और शांत वातावरण में स्थित नागार्जुन बुद्ध विहार अपनी भव्यता और सुंदरता के लिए अब चर्चा का विषय बन गया है। यह विहार बस्तर संभाग में सबसे बड़ा बौद्ध विहार है, जो न केवल स्थानीय समुदाय, बल्कि दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनने जा रहा है। पहाड़ी पर स्थित होने के कारण यह स्थान ध्यान और meditation के लिए आदर्श माना जा रहा है, जिसे भंते संघ ने भी सराहा। विहार की वास्तुकला और प्राकृतिक सौंदर्य इसे एक अनूठा आध्यात्मिक स्थल बनाते हैं।

थाईलैंड से लाई गई भगवान बुद्ध की प्रतिमा

इस विहार की सबसे खास विशेषता है थाईलैंड से लाई गई भगवान बुद्ध की भव्य प्रतिमा। यह प्रतिमा न केवल कला का उत्कृष्ट नमूना है, बल्कि बौद्ध धर्म के शांति और करुणा के संदेश को भी दर्शाती है। थाईलैंड, जहां बौद्ध धर्म का गहरा प्रभाव है, वहां की कारीगरी और आध्यात्मिकता इस प्रतिमा में स्पष्ट रूप से झलकती है। प्रतिमा का अनावरण भंते संघ की उपस्थिति में हुआ, जिन्होंने इस अवसर पर बुद्ध के उपदेशों और उनके शांति के संदेश को अनुयायियों के साथ साझा किया।

अनावरण समारोह: एक ऐतिहासिक क्षण

प्रतिमा अनावरण समारोह में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग, बौद्ध अनुयायी, और गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए। नागपुर और बेंगलुरु से आए भंते संघ ने इस अवसर पर बौद्ध धर्म के मूल सिद्धांतों—प्रज्ञा (बुद्धि), शील (नैतिकता), और करुणा (दया)—पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह विहार बस्तर में शांति और एकता का प्रतीक बनेगा। एनएमडीसी के सीजीएम संजीव साही ने इस पहल को सामुदायिक विकास और सांस्कृतिक संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। वहीं, नगरपालिका अध्यक्ष रूबी सिंह ने स्थानीय प्रशासन की ओर से विहार के विकास में हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।

बौद्ध धर्म: शांति और करुणा का संदेश

बौद्ध धर्म, जिसकी स्थापना गौतम बुद्ध ने 6वीं-5वीं शताब्दी ईसा पूर्व में की थी, विश्व भर में शांति और अहिंसा का प्रतीक माना जाता है। गौतम बुद्ध, जिनका जन्म नेपाल के लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व में हुआ था, ने अपने जीवन में सत्य, करुणा, और मध्यम मार्ग की शिक्षा दी। बुद्ध की शिक्षाएं चार आर्य सत्य, अष्टांगिक मार्ग, और त्रिरत्न (बुद्ध, धम्म, संघ) पर आधारित हैं, जो मानव जीवन को दुख से मुक्ति का मार्ग दिखाती हैं।

बौद्ध धर्म का प्रभाव भारत से निकलकर चीन, जापान, थाईलैंड, श्रीलंका, और अन्य देशों तक फैला। थाईलैंड में बौद्ध धर्म बहुसंख्यक धर्म है, और वहां की संस्कृति और कला में बुद्ध की शिक्षाएं गहरे तक समाई हैं। किरंदुल में थाईलैंड से लाई गई प्रतिमा इस वैश्विक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जुड़ाव का प्रतीक है।

नागार्जुन का महत्व

इस विहार का नाम प्रसिद्ध बौद्ध दार्शनिक नागार्जुन के नाम पर रखा गया है, जो बौद्ध धर्म के महायान संप्रदाय के प्रमुख विचारक थे। नागार्जुन ने शून्यवाद (माध्यमिक दर्शन) का प्रतिपादन किया, जो बौद्ध दर्शन में एक महत्वपूर्ण योगदान है। उनके दर्शन ने बौद्ध धर्म को नई गहराई प्रदान की और इसे विश्व भर में फैलाने में मदद की। किरंदुल का यह विहार नागार्जुन की विरासत को जीवित रखने का एक प्रयास है।

बस्तर में बौद्ध धर्म का पुनर्जनन

बस्तर संभाग, जो अपनी आदिवासी संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है, अब बौद्ध धर्म के पुनर्जनन का गवाह बन रहा है। नागार्जुन बुद्ध विहार न केवल धार्मिक स्थल है, बल्कि यह स्थानीय समुदाय के लिए एक सांस्कृतिक और शैक्षिक केंद्र के रूप में भी उभरेगा। यह विहार बौद्ध धर्म के नवयान संप्रदाय, जिसे डॉ. भीमराव आंबेडकर ने पुनर्जनन दिया, के अनुयायियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

समुदाय और प्रशासन का योगदान

इस विहार के निर्माण और प्रतिमा अनावरण में एनएमडीसी (नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन) की भूमिका उल्लेखनीय रही। किरंदुल में खनन गतिविधियों के लिए जाना जाने वाला एनएमडीसी सामाजिक और सांस्कृतिक विकास में भी योगदान दे रहा है। सीजीएम संजीव साही ने इस अवसर पर कहा कि यह विहार क्षेत्र में शांति और समृद्धि का प्रतीक बनेगा। नगरपालिका अध्यक्ष रूबी सिंह ने इसे किरंदुल की पहचान को नई ऊंचाइयों तक ले जाने वाला कदम बताया।

आगे की राह

नागार्जुन बुद्ध विहार भविष्य में ध्यान केंद्र, बौद्ध शिक्षा संस्थान, और तीर्थस्थल के रूप में विकसित होने की संभावना रखता है। यह विहार बस्तर के पर्यटन को भी बढ़ावा देगा, क्योंकि इसकी खूबसूरती और शांत वातावरण पर्यटकों को आकर्षित करेगा। भंते संघ ने इस विहार को बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार और सामुदायिक एकता के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बताया।

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