राशिफल

देवगुरु बृहस्पति की राशि में शनि होने जा रहे हैं वक्री! किन राशियों पर पड़ेगा पॉजिटिव इफेक्ट? किनको रहना होगा सावधान? जानिए भागवत-व्यास आचार्य पं गिरीश पाण्डेय जी से…

🌟 श्री राधे कृष्णा🌟

💫 राधारमणम हरे हरे💫
13 जुलाई वह दिन है जब न्यायाधीश शनि मीन राशि में वक्री होने जा रहे हैं।
ज्योतिष शास्त्र में शनि देव का एक विशिष्ट स्थान है। शनि न्याय के देव है और नवग्रहों में एक प्रमुख ग्रह हैं। शनि महाराज कर्मों का फल देते हैं। पुराणों मैं वर्णन आता है कि शनि देव सूर्य देव और छाया महतारी के पुत्र हैं। जिन्होंने कठोर तप करके महान शक्ति प्राप्त की थी। शनिदेव का रंग श्याम है शनिदेव श्याम अश्व पर आरूढ़ रहते हैं।

शनि की महादशा, अंतर्दशा और साढ़ेसाती तथा ढैय्या

वैदिक ज्योतिष शास्त्र में शनि की महादशा,अंतर्दशा ढैय्या और साढ़ेसाती का विशेष महत्व है

शनि की महादशा 19 वर्ष की होती है और इन वर्षों में जातक जीवन के कठिन रास्तों से गुजरता है और इन अनुभवों से परिपक्व होता जाता है।

किसी भी व्यक्ति के जन्म राशि में शनि महाराज जब आते हैं तो यह समय 7 वर्ष और 6 माह तक चलता है जिसे साढ़ेसाती कहा जाता है। साढ़ेसाती के दौरान व्यक्ति को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अपने-पराए का पता चल जाता है परंतु जातक यदि सत्य के मार्ग पर चलता है तो कड़ी परीक्षा लेकर भी जाते-जाते शनि जातक को ऊंचाइयों तक पहुंचा देते हैं।

शनि महाराज की दृष्टि तीसरे,सातवें और दसवें घर पर रहती है। भले ही शनिदेव क्रूर ग्रह की श्रेणी में आते हैं। परंतु जिन जातकों पर शनि महाराज की कृपा बरसती है उनको अपार सुख और समृद्धि प्राप्त होती है। वर्तमान गोचर में शनि महाराज मीन राशि में चल रहे थे। मार्गी होकर के काल पुरुष के द्वादश भाव में विराजमान थे। 13 जुलाई से शनि महाराज वक्री हो जाएंगे। वक्री होने से ग्रह पिछले भाव का फल देते हैं और अच्छे/खराब दोनो फलों में कमी आती है। आइए भागवत-व्यास आचार्य पंडित गिरीश पाण्डेय जी से जानते हैं की शनि के वक्री होने से किन राशियों के लिए नेगेटिव इफेक्ट होगा और किन राशियों के लिए शनि पॉजिटिव इफेक्ट देने वाले हैं:-

इन राशियों पर पड़ेगा निगेटिव इफेक्ट

मेषराशि

मेष राशि के जातकों की साढ़ेसाती 30 मार्च 2025 से आरंभ हुई है। शनि महाराज जो मेष राशि के लिए 10वें और 11वें अर्थात कर्म और आय/उन्नति भाव के स्वामी हैं 12वें भाव में वक्री होने वाले हैं। अगर आप विदेश जाने की तैयारी कर रहे थे तो शनि के वक्री होने के बाद इसमें देरी हो सकती है। बारहवां भाव व्यय का है। शनि के वक्री होने से खर्चों में बढ़ोतरी हो सकती है। आय-व्यय के हिसाब से बुद्धि विवेक का प्रयोग करें। नौकरी पेशा लोगों का स्थानांतरण हो सकता है। स्वास्थ्य के मोर्चे पर दिक्कत आ सकती है। सेहत को लेकर कोताही ना बरतें।

मिथुन राशि

मिथुन राशि के लिए शनि महाराज अष्टम और नवम अर्थात आयु,गुप्त विद्या और भाग्य भाव के मालिक हैं। शनि महाराज मिथुन राशि के दसवें भाव में जाकर वक्री हो रहे हैं। दसवां भाव करियर का होता है। इस दौरान नौकरी और बिजनेस में परिवर्तन हो सकता है। कड़ी मेहनत के बाद भी आसानी से सफलता नहीं मिलेगी। कार्य व्यापार का दबाव बढ़ सकता है। शनि महाराज की दृष्टि आपके द्वादश चतुर्थ तथा सप्तम भाव पर होने से परिवार में तनाव हो सकता है। वृद्ध जनों के स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता पड़ सकती है। मैरिड लाइफ में अड़चन आ सकती है। व्यापारी वर्ग को शॉर्टकट से बचना चाहिए।

सिंह राशि

सिंह राशि जातकों के लिए शनि महाराज अष्टम भाव में वक्री होने वाले हैं। सिंह राशि के लिए शनि छठे भाव रोग, ऋण, शत्रु तथा सप्तम भाव पार्टनर/लाइफ पार्टनर के स्वामी हैं। शनि का वक्री होना सिंह राशि के लिए चुनौती पूर्ण होगा। स्वास्थ्य का विशेष ध्यान इस गोचर के दौरान रखना होगा। सेहत को लेकर के कोताही बरतना नुकसानदायक साबित हो सकता है। कार्य- व्यापार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। अप्रत्याशित खर्च सामने आ सकते हैं। अष्टम भाव ससुराल का है ससुराल वालों से संबंध बिगड़ सकते हैं। शनि महाराज की दृष्टि द्वितीय पंचम और दशम भाव पर होगी। करियर में उथल-पुथल मच सकती है। कड़ी मेहनत से सफलता प्राप्त होती नजर आ रही है।

कन्या राशि

कन्या राशि के लिए शनि महाराज पंचम विद्या, संतान भाव तथा छठे रोग, ऋण और शत्रु भाव के स्वामी होते हैं। शनि महाराज सातवें भाव में वक्री होने वाले हैं। इसका सीधा असर आपके वैवाहिक जीवन पर पड़ सकता है। सप्तम भाव डेली इनकम का होने के कारण कैरियर और व्यापार पर भी असर डाल सकता है। खानपान पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होगी। सेहत को लेकर की लापरवाही बरतना आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है।

इन राशियों पर पड़ेगा पॉजिटिव इफेक्ट

कुंभ राशि

शनि महाराज कुंभ राशि के स्वामी ग्रह हैं। कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती का तीसरा चरण चल रहा है। शनि महाराज वर्तमान में कुंभ राशि के द्वितीय भाव में गोचर कर रहे हैं। शनि महाराज के वक्री होने से कुंभ राशि के जातक जिस सफलता के लिए प्रतीक्षा कर रहे थे वह सफलता प्राप्त हो सकती है। लंबे समय से जो योजनाएं अटकी हुई थी उसमें गति आ सकती है। अप्रत्याशित धन लाभ हो सकता है। इस गोचर के दौरान कुंभ राशि के जातक अपने आप को काफी मजबूत महसूस कर सकते हैं। सभी प्रयासों में सफलता की योग बनेंगे। स्वास्थ्य भी इस गोचर के दौरान अनुकूल बना रहेगा।

मीन राशि

मीन राशि के जातकों के लिए शनि महाराज की साढ़ेसाती का दूसरा चरण चल रहा है। शनि का वक्री होना मीन राशि के लिए अनुकूल साबित होगा। मीन राशि के प्रथम भाव में शनि की वक्री होने से धन आगमन के नए रास्ते बनेंगे। धर्म कर्म में मन लगेगा। तीर्थाटन के योग बनेंगे। आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। हालांकि इस दौरान अपने खर्चों पर नियंत्रण करना मीन राशि के जातकों के लिए अत्यंत आवश्यक होगा। स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान देना जरुरी रहेगा।

उपाय–
शनिदेव न्याय के देवता हैं और उनकी पूजा से व्यक्ति को जीवन में संतुलन और न्याय प्राप्त होता है। शनिदेव हमें यह सिखाते हैं कि जीवन में अच्छे कर्म करना और सत्य के मार्ग पर चलना ही सच्ची सफलता है। उनके आशीर्वाद से हम अपने जीवन को सुखमय और समृद्ध बना सकते हैं।

१.) शनिवार का व्रत करें।

२.) शनि के मंत्रों का जाप किसी विद्वान ब्राह्मण से कराएं।

३.) वृद्ध जनों की सेवा करें।

४.) शनि संबंधी वस्तुओं का दान करें।

५.) पीपल सींचें, शनिवार की शाम पीपल वृक्ष पर दीपक जलाएं।

५.) हनुमन आराधना से शनि के अशुभ फलों में कमी आती है।

🌹 शनिदेव आप सभी पर कृपा करें🌹

पं. गिरीश पाण्डेय
एस्ट्रो-गुरू, भागवत-व्यास
एस्ट्रो- सेज पैनल -मेंबर
सचिव पुरोहित मंच
ज़िला- महासमुन्द छ.ग.
संपर्क सूत्र – 7000217167
संकट मोचन मंदिर
मण्डी परिसर,पिथौरा

कुंडली संबंधी कार्यों के लिए संपर्क करें
(शुल्क -५०१/-)

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