
रायपुर । बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री सोमवार को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर पहुंचे। वे दुर्ग मैनेज में आयोजित हनुमान कथा में शामिल हुए, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। रायपुर आगमन के दौरान पं. शास्त्री ने हिंदू समाज की एकता, देश की वर्तमान परिस्थितियों, धर्मांतरण और छत्तीसगढ़ की सामाजिक स्थिति को लेकर खुलकर अपनी बात रखी।
हनुमान कथा के दौरान और उसके बाद मीडिया से बातचीत में पं. धीरेन्द्र शास्त्री ने कहा कि वे भारत को केवल एक ही संदेश देना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “यदि भारत में बांग्लादेश जैसी स्थिति नहीं देखना चाहते हैं, तो यही समय है। अभी नहीं तो कभी नहीं। अगर आज हिंदू एक नहीं हुआ, तो वह दिन दूर नहीं जब भारत के चौराहों पर वही दृश्य देखने को मिल सकता है, जो आज बांग्लादेश में देखने को मिल रहा है।” उन्होंने विशेष रूप से छत्तीसगढ़ का उल्लेख करते हुए कहा कि हिंदू समाज को समय रहते संगठित होना होगा।
कांकेर की हालिया घटना को लेकर पूछे गए सवाल पर पं. शास्त्री ने कहा कि जो घटना हुई, वह अच्छी नहीं थी, लेकिन उस घटना के बाद हिंदुओं ने जिस तरह एकता का परिचय दिया, वह सराहनीय है। उन्होंने कहा कि इसके लिए वे समस्त हिंदू समाज को साधुवाद देते हैं और यह एकता आगे भी बनी रहनी चाहिए।
छत्तीसगढ़ में हो रहे कथित धर्मांतरण के मामलों पर पं. धीरेन्द्र शास्त्री ने कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा, “भारत में कैंसर से भी ज्यादा खतरनाक समस्या धर्मांतरण और मतांतरण है।” उनके अनुसार, यह समस्या समाज की जड़ों को कमजोर कर रही है। उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ देशभर में सनातनी और हिंदू संगठनों द्वारा लगातार काम किया जा रहा है।
पं. शास्त्री ने धर्मांतरण के तीन प्रमुख कारण गिनाए—
अंधविश्वास, आर्थिक तंगी और अशिक्षा। उन्होंने कहा कि समाज के निम्न वर्ग के लोग अक्सर लालच में आकर धर्मांतरण के शिकार हो जाते हैं। कुछ लोग अंधविश्वास फैलाकर और पूजा-पाठ के नाम पर लोगों को गुमराह कर उनका धर्म परिवर्तन करा रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे पूजा-पाठ के विरोधी नहीं हैं, लेकिन पूजा-पाठ के नाम पर धर्मांतरण के सख्त विरोधी हैं।
एकांतवास को लेकर पूछे गए प्रश्न पर पं. धीरेन्द्र शास्त्री ने बताया कि उनके संन्यासी जीवन और आध्यात्मिक अनुभवों को लेकर उनके गुरुजी के लिए एक पुस्तक लिखी जा रही है। उन्होंने कहा कि 19 वर्षों के बाद उन्हें इस विषय पर लिखने की आज्ञा मिली है और अगले दो से तीन महीनों में यह पुस्तक सामने आएगी। पं. शास्त्री के अनुसार, यह पुस्तक एक ऐसी दिव्य चेतना के बारे में होगी, जो स्वयं शरीर में न रहते हुए भी शरीरधारी लोगों के माध्यम से हनुमान जी का कार्य करवा रही है। उस दिव्य चेतना के स्वरूप और उसके कार्यों पर पुस्तक में विस्तृत जानकारी दी जाएगी।



