छत्तीसगढ़ में आरटीआई में दी गयी जानकारी,पानी मे भीगने से दीमक खा गए दस्तावेज
बसना । आरटीआई का अर्थ है सूचना का अधिकार और इसे संविधान की धारा 19 (1) के तहत एक मूलभूत अधिकार का दर्जा दिया गया है,धारा 19 (1) के तहत प्रत्येक नागरिक को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है और उसे यह जानने का अधिकार है कि सरकार कैसे कार्य करती है इसकी क्या भूमिका है इसके क्या कार्य है परन्तु बात करे अगर बसना जनपद पंचायत की तो यहां मामला बिल्कुल उलट है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बसना ब्लॉक के एक ग्रामीण ने 3 दिसम्बर 2020 को बसना जनपद पंचायत के जनसूचना अधिकारी को सत्र 2017-18 में उसके ग्राम पंचायत में क्रियान्वित एक योजना के आवेदनों की मूल प्रति के समस्त दस्तावेजों की प्रमाणित छाया प्रति मांगी थी जिसके जवाब में जन सूचना अधिकारी जनपद पंचायत बसना ने 23 दिसम्बर 2020 को जवाब तलब किया कि आपके द्वारा मांगे गए दस्तावेजों की मूल कॉपी पुराने जनपद पंचायत सभागार में सुरक्षा के दृष्टिकोण से रखा गया था तथा अत्यधिक पानी गिरने के कारण समस्त आवेदन दीमक तथा पानी से भीग जाने के कारण दस्तावेज उपलब्ध नही है तदनुसार आपको मूल आवेदन उपलब्ध करा पाना सम्भव नही है।
इस तारतम्य में आवेदक का कहना है कि मैंने 2017-18 की जानकारी मांगी है और उस सत्र में जनपद के सारे काम नए जनपद कार्यालय से संचालित हो रहे थे,भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए भ्रामक जानकारी दी जा रही है इस सम्बंध में मैंने मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत महासमुंद,कलेक्टर महासमुंद एवं पंचायत मंत्री छत्तीसगढ़ शासन को शिकायत किया है इसका निष्पक्ष जांच होना अत्यंत आवश्यक है इस मामले में जरूर कोई न कोई बड़ी धांधली हुई है।
बताते चलें कि सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत जानकारी न देना दंडनीय अपराध है एवं भ्रामक तथा अपूर्ण सूचना देने वाले अधिकारी के खिलाफ दण्डात्मक कार्यवाही का एक्ट में प्रावधान है।
अब देखना यह है कि उच्च अधिकारी इस मामले में क्या कार्यवाही करते हैं,तथाकथित भ्रष्ट अधिकारियों के ऊपर गाज गिरती है या अन्य मामलों की तरह इस मामले को भी लेनी देनी कर ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।