गरियाबंद के कुरुसकेरा रेत खुदाई चालू : बंद करवाने हेतु ग्राम सभा ने लिया निर्णय
गरियाबंद। पिछले वर्ष लगातार सुर्खियों और विवादों में रहने वाली कुरुसकेरा रेत खदान में अब पुनः चैन माउंटिंग मशीन से रेत खुदाई चालू हो गई है। सारे एनजीटी के नियमों अधिनियमों को ताक में रखते हुए , शासन प्रशासन के सरंक्षण में , इस रेत घाट को रेत माफ़िया दिन और रात लूटने में पुनः सक्रिय हो गया है।
जबकि कुरुसकेरा ग्राम वासी इस लूट को बंद करने की मांग कर रहे हैं। यहाँ संचालित रेत खदान को बंद कराने ग्राम वासियों ने एक राय होकर जिलाधीश गरियाबंद से इसे बंद कराने की मांग की है। सरपंच खुलेश्वरी नगारची कहती है कि गांव की स्थिति को देखते हुए इस रेत खदान को बंद किया जाना चाहिए। ग्राम वासी इसे संचालित किये जाने के पक्ष में बिल्कुल नहीं है। ग्राम सभा में इस रेत खदान को बंद किये जाने का निर्णय लिया गया है।
ग्राम विकास समिति के अध्यक्ष युवराज साहू एवं सचिव तेजराम के अनुसार इस रेत घाट की वजह से गांव में तनाव का माहौल व्याप्त है। दिन और रात रेत से भरी हाइवा की रफ्तार की वजह से धूल और प्रदूषण की परेशानी अलग से है। लगातार उत्खनन से हमारे गांव में बारिश के दिनों में बाढ़ का खतरा भी है। हमने कलेक्टर गरियाबंद को लिखित आवेदन देकर इस रेत खदान को बंद करने की मांग की है।
साढ़े बारह डिसमिल में लगातार खुदाई कैसे संभव ?
इस मामले में खनिज विभाग से की गई पतासाजी में इस प्रतिनिधि को प्राप्त जानकारी के अनुसार , ग्राम वासियों ने वर्ष 2017 में इसे रेत खदान घोषित करने की मांग की थी। मांग के आधार पर रेत खदान घोषित करते हुए इसे दो वर्षों के लिए लीज पर दे दिया गया है। रेत खुदाई की लीज खसरा नं 01 के रकबा 05.00 हेक्टेयर अर्थात साढ़े बारह डिसमिल या कहें कि कुल 5437 फुट के लिए है। अब सोचने वाली बात ये है कि लगातार , दिन और रात , चैन माउंटिंग मशीनों के माध्यम से , कुल साढ़े बारह डिसमिल की जगह से पिछले दो वर्षों से रेत की खुदाई कैसे हो पा रही है। मामला पूरी तरह गड़बड़ है।
जिला पंचायत सदस्यों ने उठाया था मुद्दा
पिछले वर्ष जिला पंचायत की सामान्य सभा की बैठक में सदस्यों ने खदानों को आबंटित क्षेत्रफल का मुद्दा उठाया था। उन्होंने भौतिक सत्यापन की भी मांग रखी थी , किन्तु बात आयी गयी हो गई , और अब रेत उत्खनन का खेल पुनः उसी अंदाज में उसी गति से संचालित हो रहा है। ग्रामवासी जानते हैं ऊपर से नीचे तक सब मिले हुए हैं।
पेड़ पौधों का पता नहीं
एनजीटी के नियमानुसार प्रत्येक लीजधारी को उत्खनन के अनुपात में आस पास के क्षेत्र में पेड़ पौधे लगाया जाना है। किंतु कुरुसकेरा रेत खदान में इस बेरहमी से खुदाई जारी है कि पेड़ पौधे लगाना तो दूर , नदी किनारे के हरे भरे इमारती व फलदार वृक्ष इस खुदाई की वजह से गिर चुके हैं। ग्राम विकास समिति के अध्यक्ष युवराज साहू भी इसे स्वीकार करते हैं।
हालांकि खनिज अधिकारी मृदुल गुहा दावा करते हैं कि पिछले बारिश के पहले यहां सैकड़ो पौधे लगाये गए थे , किन्तु ये भी मानते हैं कि इस समय मौके पर एक भी पौधा जीवित नहीं है। दरअसल हमारा मानना है कि उनका यहाँ पेड़ लगाने का दावा ही खोखला है , तरफदारी है और तरफदारी क्यूँ की जाती है इसे पाठक स्वयं समझ सकते हैं। फिलहाल कुरुसकेरा रेत खदान चालू है।