छत्तीसगढ़

प्रदेश में कुपोषण को मात देकर फिर खिलखिलाया बचपन

छत्तीसगढ़। नन्हे तनवी, ज्योति और अब्दुल हैं तो छोटे बच्चे लेकिन उन्होंने जंग बड़ी जीती है। उनकी यह जंग कुपोषण से थी। कुपोषण को हराने के लिए लगातार काम कर रहे लोगों में कुपोषण को जड़ से समाप्त करने का हौसला भी बढ़ रहा है।

कुपोषण से बाहर आए इन बच्चों के हंसते खिलखिलाते चेहरे उनके परिवार के साथ ही हर उस दिल को सुकून से भर देते हैं जिन्होंने छत्तीसगढ़ को कुपोषण मुक्त करने की ठानी है।

इनमें सबसे पहले मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल हैं जिन्होंने कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़ के संकल्प के साथ 2 अक्टूबर 2019 से प्रदेश में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरूआत की। अभियान शुरू करते समय मुख्यमंत्री श्री बघेल ने जो सपना देखा था वह तेजी से साकार रूप ले रहा है।

प्रदेश में बच्चों और महिलाओं के कदम कुपोषण को हराने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहे हैं। शारीरिक रूप से कमजोर और कुपोषित बच्चों को सामान्य श्रेणी में लाने के लिए किए जा रहे प्रयासों का नतीजा साफ दिख रहा है।

समन्वित प्रयासों से दूरस्थ आदिवासी क्षेत्र सुकमा जिले के 3 हजार से अधिक बच्चों को कुपोषण के दुष्चक्र से बाहर निकाला गया है।

जिले में ‘संवरता सुकमा‘कार्ययोजना संचालित है जिससे कुपोषण दर में लगातार कमी आ रही है। 4 वर्षीया बालिका तनवी का वजन सितंबर माह में 6.6 किलोग्राम था जो आज जनवरी माह में बढ़कर 8.89 किलोग्राम हो चुका है।

इसी प्रकार अब्दुल का वजन भी 9.92 किलोग्राम से बढ़कर 10.5 किलो हो चुका है। बालिका ज्योति ने भी सुपोषित आहार का लाभ लेकर अपना वजन महज तीन माह में ही 7.91 किलो से 9.8 किलो कर कुपोषण को मात दी है।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका और मितानिनों के माध्यम से में 06 वर्ष से कम आयु के कुपोषित बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों में सुपोषण आहार प्रदान किया जा रहा है जो बच्चों के वजन बढ़ाने के साथ ही अन्य पोषक तत्व प्राप्त करने में सहायक हैं।

इसके साथ ही गंभीर कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कर चिकित्सकों की सतत् निगरानी में आवश्यक उपचार, पौष्टिक आहार के साथ ही दवाईयां दी जाती है ताकि बच्चों के सेहत में जल्दी सुधार हो।

आंगनबाड़ी में सुपोषण आहार ग्रहण करने आए छोटे बच्चों के मुस्कुराते चेहरे मुख्यमंत्री सुपोषण योजना का असर खुद बयां करते हैं।

आंगनबाड़ियों में दूध,अण्डा,रागी हलवा जैसे पौष्टिक और रूचि का भोजन मिलने से उनमें खाने के प्रति रूचि बढ़ी है। सुकमा विकासखंड अन्तर्गत आंगनबाड़ी केंद्र गीदम की कार्यकर्ता श्रीमती सरिता पोड़ियामी ने बताया कि उनके केंद्र में 22 बच्चों को सुपोषण आहार दिया जा रहा है।

जिसमें अधिकतर बच्चे विगत तीन माह से सामान्य श्रेणी में आ चुके हैं। रोजाना बच्चे सुबह से ही केंद्र में आकर खेलते हैं और फिर भोजन करते। सुबह के समय भी वह बच्चों को रेडी टू ईट से बने लड्डू और बर्फी का नाश्ता देती है।

उन्होंने बताया कि बच्चों को शाम को परोसी जाने वाली दाल, मूंगफली, सोया बड़ी आदि सामग्रियों से बनी खिचड़ी बहुत पसंद है। बच्चे बड़े चाव से खिचड़ी खाते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button