बिलासपुर में कोरोना की खतरनाक लहर और बेफिक्री में शहरवासी
बिलासपुर। कोरोना की खतरनाक होती दूसरी लहर के बाद भी शहरवासियों की बेफिक्री समझ से परे है। लाकडाउन के बाद भी बिना काम के लोग सड़कों पर घूम रहे हैं।
प्रमुख चौक-चौराहों पर पुलिस जवान और अफसरों की तैनाती तो है पर कार्रवाई किसी पर नहीं हो रही है। डयूटी के नाम पर अफसर और जवान खानापूर्ति करते नजर आ रहे हैं। पुलिस व प्रशासन का भय लोगों के मन से गायब हो गया है।
कलेक्टर व जिला दंडाधिकारी डा. सारांश मित्तर ने जिले में कोरोना की चेन को तोड़ने के लिए 14 अप्रैल से 21 अप्रैल तक लाकडाउन का आदेश जारी किया था। तब प्रशासन को उम्मीद थी कि कोरोना की चेन टूटेगी और संक्रमण की रफ्तार कम होगी। पर ऐसा नहीं हुआ। सारे अनुमान धरे के धरे रह गए। कोरोना का वेग थमने का नाम ही नहीं ले रहा है।
मौत और संक्रमण के आंकड़े लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। लोग अपने स्वजन खोते जा रहे हैं। कोरोना जिनके स्वजन छीन रहा है उसकी पीड़ा वे ही जानते हैं। प्रशासनिक अमला इस बात को लेकर पसोपेश में है कि बाजार पूरी तरह बंद होने के बाद भी संक्रमितों की संख्या क्यों बढ़ रही है। चेन टूट क्यों नहीं रही है। स्थिति नियंत्रित क्यों नहीं हो पा रही है।
जिन लोगाें की रिपोर्ट पाजिटिव आ रही है अधिकांश लोग होम आइसोलेट होने के बजाय सड़कों पर घूम रहे हैं। कामकाज के सिलसिले में परिचितों के घर जा रहे हैं। जाने-अनजाने ही सही ऐसे लोग बीमारी बांटने का काम कर रहे हैं।
ऐसे लोग जिनके घर जा रहे हैं उनके स्वजनों पर संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है। ऐसे लोगों पर प्रशासनिक सख्ती जरूरी है। होम आइसोलेशन के नियमों का गंभीरता से पालन करना होगा।
सड़कों पर अनावश्यक घूमने फिरने वालों को शाम पांच बजे का इंतजार रहता है। इस वक्त शहर की डेयरियां खुलती हैं जो शाम साढ़े छह बजे तक दूध का वितरण करती हैं। दूध लेने के बहाने लोग निकलते हंै और छह बजे ही अपने घरों की ओर रवाना हो जाते हैं।