छत्तीसगढ़ में सात माह की अहाना का शव लेने नहीं पहुंचे माता-पिता, नही मिले घर पर भी
बिलासपुर। कोरोना से संक्रमित हुई सात माह की बेबी अहाना का रविवार को सिम्स व स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों ने तोरवा मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार किया। अहाना की मौत के बाद उसके माता-पिता उसे सिम्स में ही छोड़कर चले गए थे। जब स्वास्थ्य विभाग की टीम घर पहुंची तो वे नहीं मिले और उनका मोबाइल भी बंद मिला। साथ ही गांव वालों ने भी कोई जानकारी नहीं दी।
मस्तूरी के ग्राम पचपेड़ी निवासी देव कुमार मार्शल और उसकी पत्नी 28 अप्रैल को अपनी सात माह की बच्ची अहाना को लेकर सिम्स पहुंचे थे। उस समय उसकी हालत गंभीर थी। जांच में उसके कोरोना से संक्रमित होने की पुष्टि की गई और उपचार शुरू किया गया। लेकिन, 29 अप्रैल को उसकी मौत हो गई।
इसके बाद जैसे ही उसके माता-पिता को मौत की जानकारी दी गई, वैसे ही वे वहां से चले गए। इसके बाद सिम्स प्रबंधन को शव को शव गृह में रखवाना पड़ा। इसकी जानकारी जिला प्रशासन को दी गई। प्रशासन के निर्देश पर बीएमओ मस्तूरी ने पिता द्वारा बताए गए पते पर टीम भेजी।
वहां पर घर तो खुला हुआ मिला, लेकिन उसके माता-पिता नहीं थे। ऐसे में उसके पिता के नंबर पर फोन लगाया गया, लेकिन वह भी बंद था। टीम ने गांव वालों से जानकारी ली तो किसी ने कुछ नहीं बताया। ऐसे में टीम को खाली हाथ लौटना पड़ा।
रविवार की शाम को जिला प्रशासन के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग और सिम्स के कर्मचारी प्रवीण कौशिक, राकेश मौर्य, अरविंद चौबे की उपस्थिति में शव का पंचनामा करते हुए अहाना के शव को अंतिम संस्कार के लिए तोरवा मुक्तिधाम भिजवाया गया। वहां प्रभारी अधिकारी तोरवा मुक्तिधाम नायब तहसीलदार राजकुमार साहू द्वारा नियमानुसार बच्ची के लिए कब्र खुदवाकर अंतिम संस्कार करने की प्रक्रिया पूरी कराई गई।
नियमानुसार यदि 72 घंटे तक शव लेने को कोई नहीं आता है तो उसे लावारिस मानकर जिला प्रशासन अंतिम संस्कार करवाता है। इस मामले में भी रविवार की सुबह ही अंतिम संस्कार हो जाना था, लेकिन अधिकारी व कर्मचारी इस आस में शाम तक रुके रहे कि माता-पिता तब तक आ जाएं