बड़गांव में जनसहयोग से 100 साल बाद तालाब पुनरोद्धार कार्य में बारिश की खलल
रायपुर । लगभग 1500 की आबादीधारी जनपद पंचायत आरंग के अधीन आने वाले ग्राम बड़गांव के तकरीबन 8 एकड़ में फैले बंधवा तालाब का जनसहयोग से 100 साल बाद प्रारंभ किये गये पुनरोद्धार कार्य पर बीते दिनों हुये असामयिक बारिश ने खलल डाल दिया है । आसन्न बरसात के मौसम को देखते हुये अब इस आधे अधूरे कार्य के पूरा होने की गुंजाइश नहीं है और भविष्य में फिर कब सुअवसर मिलेगा इसे बता पाने में ग्राम प्रमुख असमर्थता जाहिर करते हैं ।
पुलिस अकादमी स्थित चंदखुरी फार्म से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ग्राम बड़गांव । ग्राम के भीतर निस्तारी का एक प्रमुख तालाब है यह । बरसों से इस तालाब की सफाई न होने से दूषित हो चला था । इस साल इस तालाब का पुनरोद्धार करने की योजना बना इस तालाब को पहले से ही खाली करा लिया गया था । मनरेगा के तहत तालाब गहरीकरण कार्य का अनुभव अच्छा न होने के बाद भी ग्रामीण व्यवस्था के तहत मनरेगा मद से कार्य कराने के प्रयास को कतिपय अघोषित विवाद के चलते तिलांजलि दे दी गयी व ग्रामवासियों से सहयोग ले जे सी बी लगवा सफाई कराने का विचार रखा गया । इस प्रक्रिया में विलंब के चलते काम देर से तो शुरू हुआ और तालाब का तकरीबन एक चौथाई भाग से तलछट निकालने का काम बाकी बचा ही था कि बीते दिनों हुये असामयिक बरसात की वजह से गीलापन आने व कहीं – कहीं पानी भर जाने की वजह से आगे कार्य संभव न हो पाने के कारण कार्य बंद कर दिया गया । कोल्हान नाला से सिंचाई के संबंध में चर्चा करने बड़गांव पहुंचे किसान संघर्ष समिति के संयोजक भूपेन्द्र शर्मा को पूर्व में सरपंच व जनपद अध्यक्ष रह चुके मुरारी यादव व वर्तमान सरपंच श्री यादव की पत्नी श्रीमती रामबती यादव ने जानकारी दी कि पंद्रहवें वित्त आयोग की राशि सहित इस कार्य में ग्रामवासियों के साथ – साथ पूर्व क्षेत्रीय विधायक व मंत्री रहे सत्यनारायण शर्मा व वर्तमान विधायक व नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहरिया का भी उल्लेखनीय सहयोग मिला । असामयिक बारिश की वजह से काम आधा अधूरा रह जाने का मलाल व्यक्त करते हुये कहा कि हर साल तालाब खाली करवा कार्य कराया जाना संभव नहीं है । इधर श्री शर्मा के साथ तालाब का मुआयना करने गये बड़गांव के वयोवृद्ध सेवानिवृत्त प्रधानपाठक महेश्वर पांडेय ने बतलाया कि लगभग 100 साल बाद तालाब का पुनरोद्धार कार्य शुरू हुआ था । उन्होंने बीते वर्षों का याद करते हुये बतलाया कि तालाब में जमा तलछट एक बेहतरीन खाद होता है जिसे पहले अपने खेतों में अपने खर्च पर ले जाने किसानों में होड़ लगी रहती थी पर अब इसे कोई पूछता भी नहीं ।
सन् 1965-66 मे एक बार इस तालाब के पुनरोद्धार कार्य शुरू किये जाने की वाकया का याद करते हुये जानकारी दी कि तब आसपास के ग्रामों के किसानों को तालाब का यह खाद ले जाने आमंत्रित करने का विचार ग्राम में रखा गया था पर ग्राम के कतिपय ग्रामीणों द्वारा इस बहुमूल्य खाद को बाहरी गांववालों को देने पर आपत्ति दर्ज करा दी थी जिसकी वजह से कार्य नहीं हो पाया था ।अभी भी तालाब के बीचों-बीच एक चौथाई भाग में तकरीबन 5 – 7 फीट तलछट जमा होने की जानकारी दे निराशा व्यक्त करते हुये उन्होंने कहा कि अब पता नहीं इन्हें निकालने का अवसर कब आयेगा ।