मंदिर निर्माण व् श्रीराम के नाम पर एकत्रित चंदे का दुरूपयोग के साथ ही किया घोटाला: प्रवक्ता चंद्राकर
महासमुंद। संसदीय सचिव व प्रदेश कांग्रेस कमेटी संचार विभाग के प्रवक्ता विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से संबंधित एक जमीन सौदे में लगे भ्रष्टाचार के आरोप पर मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में प्रधानमंत्री की चुप्पी कई संदेहों को जन्म देता है। मंदिर निर्माण व् मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम के नाम पर धोखा महापाप है।
प्रवक्ता चंद्राकर ने कहा कि भगवान श्री राम आस्था के प्रतीक हैं, पर भगवान राम की अलौकिक अयोध्या नगरी में श्री राम मंदिर निर्माण हेतु करोड़ों लोगों ने दान किया है। वे खुद मंदिर निर्माण के लिए एक लाख का दान किया है। लेकिन एकत्रित चंदे का दुरूपयोग के साथ ही घोटाला किया गया है। उन्होंने कहा कि जमीन की रजिस्ट्री के दोनों कागजों पर श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी अनिल मिश्रा गवाह के तौर पर मौजूद हैं। दोनों कागजों पर दूसरे गवाह भाजपा के प्रमुख नेता और अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय हैं।
इसका मतलब साफ है कि 2 करोड़ रुपये मूल्य की जमीन पांच मिनट में 18.5 करोड़ रुपये में खरीदने के निर्णय की राममंदिर निर्माण ट्रस्ट के न्यासियों को पूरी जानकारी थी। श्री राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुसार 5 फरवरी 2020 को हुआ। उपरोक्त तथ्यों से साफ है कि करोड़ों लोगों द्वारा राम मंदिर निर्माण के लिए दी गई दान राशि में घोटाला हुआ है।
इस गंभीर मसले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी तरह से चुप हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि इस प्रकार और कितनी जमीन मंदिर निर्माण के चंदे से औने-पौने दामों पर खरीदी गई होगी। लिहाजा पूरे मामले की जांच की आवश्यकता है। इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री को जवाब देने के साथ ही देश के प्रधान न्यायाधीश व उच्चतम न्यायालय से पूरे मामले का संज्ञान लेकर न्यायालय की निगरानी में जांच करानी चाहिए।