Breaking: प्रदेश में गुड़ खरीदी टेंडर प्रक्रिया पर हाईकोर्ट की रोक,जिसके कम रेट वो रिजेक्ट,जो अपात्र उसे मान लिया पात्र
रायपुर/बिलासपुर। बिलासपुर हाईकोर्ट ने बस्तर संभाग में छत्तीसगढ़ स्टेट सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन के गुड खरीदी सबंधित टेंडर प्रक्रिया पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है। कोर्ट ने नोटिस जारी कर पूरे मामले में राज्य सरकार की उपक्रम छत्तीसगढ़ स्टेट सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन से जवाब मांगा है।
मामले की सुनवाई कार्यवाहक चीफ जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायाधीश पीपी साहू की युगलपीठ में हुई है। इस मामले की अगली सुनवाई अब 29 जून को होगी।
याचिकाकर्ता के टेंडर को जानबूझकर निरस्त किया गया-
छत्तीसगढ़ स्टेट सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन के गुड खरीदी सबंधित टेंडर प्रक्रिया मामले में रायपुर की अंबे इंडस्ट्री की तरफ से अधिवक्ता सतीश गुप्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि सरकार की उपक्रम छत्तीसगढ़ स्टेट सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन द्वारा बस्तर संभाग में गुड़ खरीदी के लिए 10 अप्रैल 2021 को टेंडर बुलाया गया था।
याचिका में कहा गया है कि टेंडर में उन निविदाकारों की निविदा को मान्य किया गया जो अपात्र थे और जिनके रेट भी अधिक थे। इसके अलावा याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता (अंबे इंडस्ट्री) के टेंडर को जानबूझकर निरस्त कर दिया गया है।
अपात्र और निविदा की शर्तों को पूरा नहीं करने वाली फर्म मान लिया पात्र-
याचिका में हाईकोर्ट के समक्ष पेश किए गए दस्तावेज में बताया गया है कि जिन निविदाकारों को पात्र माना गया है उनके प्रस्तुत टेंडर में निविदा की शर्तों का पालन नहीं किया गया है। निविदा की शर्तों में निविदाकार से गुड़ उत्पादक कंपनी से लीज एग्रीमेंट मांगे गए थे लेकिन, टेंडर में एल.1 मानी गई फर्म ने लीज एग्रीमेंट की जगह सेल एग्रीमेंट प्रस्तुत किया है। साथ ही गुड़ सप्लाई के लिए बुलाए गए टेंडर में शक्कर प्रदाय किए जाने का उल्लेख किया है।
टेंडर की अन्य शर्तों में छत्तीसगढ़ स्टेट सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन के पक्ष में जमा की जाने वाली अमानत राशि की पेमेंट स्लीप मांगी गई था जिसकी जगह बैंक स्टेटमेंट प्रस्तुत किया गया है, जबकि निविदा की शर्तों में बैंक में जमा की गई अमानत राशि की पेमेंट स्लीप अथवा आरटीजीएस की रिसीप्ट प्रस्तुत किए जाने की शर्त रखी गई थी।
साथ ही निविदाकर्ता को थर्डपार्टी एग्रीमेंट भी प्रस्तुत करना था। लेकिन, निविदाकर्ता द्वारा गुड़ उत्पादक कंपनी से सेल एग्रीमेंट ही प्रस्तुत किया है। साथ ही गुड़ सप्लाई में छत्तीसगढ़ स्टेट सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन को करोड़ों रुपए के नुकसान की बात कोर्ट की याचिका में कही गई है।
17 करोड़ का होगा नुकसान-
याचिका में बताया गया कि जिस टेंडर को स्वीकृत कर एल-1 दिया गया वह 4790 रुपए प्रति क्विंटल है, जो कि पिछले टेंडर से लगभग 600 रुपए प्रति क्विंटल ज्यादा है। जबकि, गुड़ का बाजार भाव पिछले निविदा से 700 रुपए कम है और अम्बे इंडस्ट्री ने 4100 प्रति क्विंटल में गुड़ प्रदाय करने अपना ऑफर रेट भी दिया है। इस प्रकार सभी सप्लाई के खर्च को जोड़कर 1 हजार रुपए प्रति क्विंटल ज्यादा है।
इससे टेंडर के 6800 प्रति मीट्रिक टन की सप्लाई में कॉर्पोरेशन को राज्य की जनता का लगभग 17 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ेगा। आम जनता व राज्य शासन की राशि का दुरुपयोग होने की जानकारी हाईकोर्ट को दी याचिका के माध्यम से दी गई थी। इसके बाद मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई की और पूरी प्रक्रिया पर आगामी सुनवाई तक रोक लगा दिया है।
जानें क्या है बस्तर संभाग में गुड़ प्रदाय करने की योजना-
बस्तर संभाग के जिलों में मैदानी क्षेत्रों के जिलों की तुलना में कुपोषण की दर ज्यादा है, इस वजह से बस्तर में कुपोषण दूर करने राज्य सरकार पीडीएस दुकानों से प्रति राशन कार्डधारी परिवार को दो किलो गुड़ निशुक्ल बांटने का फैसला लिया है। इसे योजना से बस्तर संभाग के 6 लाख 98 हजार परिवारों को इसका फायदा मिलेगा।
बता दें कि कुपोषण दूर करने के लिए चना और गुड़ को उत्तम माना जाता है। 19 जून से बस्तर और दंतेवाड़ा जिले में सुपोषण अभियान पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में चलाया जा रहा है।