जगदलपुर के नक्सल क्षेत्र दरभा में होगी लीची व लेमनग्रास की खेती, 20 हेक्टेयर जमीन की संरक्षित
जगदलपुर। बस्तर जिले के दरभा में किसान आने वाले दिनों में लेमनग्रास और लीची की एक साथ खेती कर इसका फायदा उठाएंगे। इसके लिए बकावंड ब्लॉक में करीब 20 हेक्टेयर सरकारी जमीन को संरक्षित कर लिया गया है। जिस पर आने वाले दिनों में खेती की जाएगी।
करीब 5 साल बाद हर साल 2 करोड़ रुपए का फायदा हो, इसके लिए इस ब्लॉक में काम करने वाले तीन महिला स्वसहायता समूहों को चयन कर लिया गया है, जो इस खेती को अंजाम देंगे। पहली बार 2 फसलों की खेती सफल हो इसके लिए महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा। योजना को अमलीजामा पहनाने और किसानों को पारंपरिक फसलों के साथ अन्य फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित करने इस खेती में उद्यानिकी विभाग की नर्सरी में इन पौधों को तैयार किया जाएगा।
उद्यानिकी विभाग के अधिकारी एके दुबे ने बताया कि नर्सरी में पौधे तैयार करने के लिए योजना बना ली गई है। किसानों को समय पर पौधे उपलब्ध करवा दिए जाएंगे। दुबे ने बताया कि 50 एकड़ में लेमनग्रास की खेती काफी फायदेमंद है। बस्तर की आबो हवा इस फसल के अनुकूल है, जिसके चलते लीची के साथ ही लेमनग्रास की खेती करने की योजना बनाई गई है। लेमनग्रास एक बार लगाने पर यह करीब चार साल तक अच्छा उत्पादन देती है। मार्केट में लेमन आयल की वर्तमान कीमत एक हजार रुपए लीटर है। अच्छी फसल होने पर प्रति एकड़ 60-70 लीटर तेल मिलता है।
क्यों खास है लेमनग्रास
लेमनग्रास की पत्तियों में एक तीखी गंध होती है, इसे चाय के साथ उबालकर पीने से ताजगी और सर्दी से राहत मिलती है। इसकी खुशबू की वजह से जानवर इससे दूर रहते हैं। ग्रास के ऑयल से हर्बल मेडिसीन, काॅस्मेटिक, इत्र व आर्गेनिक पेस्टिसाइड्स बनाते हैं। इसका उपयोग सिर व पेट दर्द से निजात पाने भी होता है।