रायपुर में एंबुलेंस की जांच के नाम पर खानापूर्ति कर भूला प्रशासन
रायपुर। रायपुर की सड़कों पर फर्राटे भरते एंबुलेंस मिल जाएंगे। शहर में दौड़ रही ज्यादातर एंबुलेंस बीमार हैं। एंबुलेंस की फिटनेस, पेपर, स्पीड गवर्नर, जीपीएस सिस्टम जैसी सुविधाएं ध्वस्त हैं। एंबुलेंस की जांच के लिए परिवहन, स्वास्थ्य और यातायात विभाग द्वारा टीम गठित की गई। टीम एंबुलेंस संचालकों को पुलिस लाइन में जांच के लिए बुलाया था। जांच में महज नाम मात्र के ही एंबुलेंस संचालक पहुंचे थे। शासन के आदेश भी एंबुलेंस संचालक जांच कराने नहीं पहुंचे।
परिवहन विभाग एंबुलेंस संचालकों को नोटिस देकर उनके ऊपर कार्रवाई करने की बात कही थी। मगर, विभाग ने न तो नोटिस जारी किया और न ही किसी प्रकार की कार्रवाई की। इस कारण एंबुलेंस संचालकों के हौसले बुलंद हैं।
ज्ञात हो कि रायपुर जिले में प्राइवेट और सरकारी अस्पताल मिलाकर करीब एक हजार से अधिक एंबुलेंस सड़कों पर दौड़ रही हैं। परिवहन विभाग को आदेश जारी कर 23 जुलाई को एंबुलेंस की जांच करने के लिए एंबुलेंस संचालकों को बुलाया था।
उस समय जांच कराने सिर्फ 89 गाड़ियां पहुंची थीं, जिसमें 48 गाड़ियों में जीपीएस तथा 38 गाड़ियों का फिटनेस तथा पांच गाड़ियों का बीमा समाप्त हो चुका था। परिवहन विभाग द्वारा जांच कराने के लिए ना आने वाले एंबुलेंस जारी कर चलानी कार्रवाई करने का निर्णय विभाग ने लिया था। मगर, दो माह बीत जाने के बाद भी विभाग ने सिर्फ खानापूर्ति कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
राजधानी में सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के बाहर मारुति वैन, बोलरो आदि वाहनों का एंबुलेंस के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। शहर में इन्हीं बेसिक ट्रांसपोर्ट एंबुलेंस की संख्या सबसे ज्यादा है। गौर करने वाली बात यह है कि इन एंबुलेंस की कोई चेकिंग भी नहीं होती है। इसकी शिकायत परिवहन मुख्यालय में हुई थी। उसके बाद मुख्यालय ने एंबुलेंस की जांच के आदेश जारी किया था।