छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव पर फिर लगे आरोप, अवैध निर्माण पर बोले पार्षद- अगर नहीं हुआ एक्शन, तो कोर्ट जाऊंगा..जाने क्या है ये विवाद
रायपुर। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव अपने होम ग्राउंड क्षेत्र अम्बिकापुर में लगातार विवादों में घिरते नजर आ रहे हैं। कभी पैतृक संपत्ति को लेकर विवाद तो कभी कुर्सी का, मगर अब उनके ही गढ़ के एक पार्षद ने अब उन पर अवैध निर्माण का आरोप लगाया है और ये भी कहा है कि पावरफूल होने की वजह से निगम एक्शन लेने से कतरा रहे हैं। भाजपा पार्षद आलोक दुबे ने टीएस सिंहदेव पर पुराना आरटीओ कार्यालय के पास अवैध तरीके से निर्माण कार्य कराने की कलेक्टर से शिकायत कर कार्रवाई की मांग की है।
35 दुकानों का अवैध निर्माण, किराए से मिल चुके हैं करोडों रूपए
जिस मामले को लेकर इतना बवाल मचा हुआ हैं वो दरअसल अवैध तरीके से निर्माण की गई 35 दुकानें हैं। इन्ही दूकानों को तोड़ने के लिए हाईकोर्ट ने आदेश जारी किया था। अगर एक हिसाब लगाया जाए तो एक दुकान का किराया 2500 रु हैं।
ऐसे में 35 दुकानों का एक महीने का किराया लगभग 87,500 रु होता है और साल भर का 10,50,000 रु। मतलब सालों से इस अवैध निर्माण से करोड़ों रुपए का अवैध किराया भी डकारा जा चुका हैं। इस आंकड़े का खुलासा खुद भाजपा पार्षद आलोक दुबे ने किया हैं।
नगर के पुराने बस स्टैंड तथा वर्तमान के सिटी बस डिपो के सामने दीवारों के किनारे स्थित दुकानों के अवैध निर्माण को तोड़ने संबंधी हाईकोर्ट के आदेश का निगम द्वारा पालन नहीं करने पर अब इस मामले के शिकायतकर्ता रहे पार्षद आलोक दुबे द्वारा मामले में कलेक्टर तथा निगम आयुक्त को पत्र लिखकर कार्यवाही की मांग की गई हैं।
आपको बता दे इस मामले को लेकर पहले ही हाईकोर्ट ने आदेश जारी कर दिया था। पारित आदेश में जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा का स्पष्ट आदेश है कि आवेदनकर्ता 5 दिन के अन्दर अपना जवाब प्रस्तुत करें और आवेदनकर्ता के जवाब से अगर नगर निगम अम्बिकापुर सहमत नहीं होता है तो 21 दिन के भीतर नगर निगम अम्बिकापुर इस प्रकरण में हुए अवैध निर्माण को तत्काल तोड़ देगा। मगर सबसे हैरानी की बात तो ये है कि अब तक ना कोई एक्शन हुआ और ना ही उच्च न्यायालय के आदेश पर अमल।
ये मामला अब प्रशासन पर बड़े सवाल खड़े कर रहा है, की क्या नेता के पावर के आगे निगम और प्रशासन भीगी बिल्ली की तरह चुप बौठे हैं?
कोर्ट ने दिया था ये आदेश…
पार्षद आलोक दुबे ने लगाए ये आरोप
पार्षद ने कहा कि इस मामले में हाईकोर्ट ने कार्रवाई के निर्देश दिए थे, नगर निगम ने नोटिस भी जारी किया, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई। आलोक ने कहा है कि हफ्ते भर के भीतर अवैध निर्माण को नहीं तोड़ा गया तो वे न्यायालय की अवमानना के मामले में कलेक्टर और आयुक्त के खिलाफ कोर्ट जाएंगे।
पार्षद ने नगर निगम द्वारा कुछ साल पहले मामले में जारी किए गए नोटिस के साथ इसकी शिकायत की है, जिसमें कहा है कि आरटीओ कार्यालय के पास स्थित भूखंड क्रमांक 3196/7, 3196/8 पर भवन निर्माण के लिए उप संचालक नगर व ग्राम निवेश जिला कार्यालय कोरबा व मुख्य नगरपालिका अधिकारी नगर पालिक परिषद अंबिकापुर द्वारा भवन अनुज्ञा जारी की गई है, लेकिन नगर व ग्राम निवेश विभाग द्वारा दी गई अनुमति के विपरीत निर्माण कराया गया है, जो विधि अनुरूप नहीं है। नोटिस में सूचना मिलने के तीन दिन के भीतर नगर और ग्राम निवेश विभाग द्वारा दी गई स्वीकृति अनुसार निर्माण हटाकर नगर पालिक निगम को सूचित करने का उल्लेख था। पार्षद का कहना है कि दवाव में कार्रवाई नहीं की गई।
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव के अधिवक्ता संतोष सिंह ने भाजपा पार्षद द्वारा पुराना बस स्टैंड स्थित दुकानों के संबंध में लगाए गए आरोपों के संबंध में कहा कि आरोप राजनीति से प्रेरित और उनकी छवि को खराब करने लगाए गए हैं। उच्च न्यायालय के आदेश के परिपालन में नगर निगम को विधिवत जवाब प्रेषित किया था।
तत्कालीन निगम प्रशासन उक्त जवाब से संतुष्ट था। इस प्रक्रिया को पूरा किए 10 साल बीत गए। तब राज्य और निगम दोनों ही जगह भाजपा की सरकार थी। आरोप लगाने वाले भाजपा पार्षद विगत 7 वर्षों से उसी नगर निगम में पार्षद हैं, उन्हें वस्तुस्थिति की जानकारी न हो यह संभव नहीं है।
पार्षद आलोक दुबे का बड़ा आरोप
भाजपा पार्षद आलोक दुबे ने साफ कहा है कि टीएस सिंहदेव मंत्री है और पावरफुल नेता है जिसके डर के आगे निगम किसी भी तरह का एक्शन लेने से कतरा रहा हैं। मगर इस मामले को इसीतरह मैं दबने नहीं दूंगा इस अवैध निर्माण को एक ना एक दिन ध्वस्त होना ही हैं। अगर अधिकारी कोर्ट के आदेश को अब भी नहीं मानेंगे तो मैं स्वयं इसके खिलाफ आवाज उठाऊंगा।
कांग्रेसियों ने कहा- भाजपा पार्षद का परिवार 117 एकड़ सरकारी जमीन पर काबिज
जिला कांग्रेस महामंत्री अरविंद सिंह गप्पू और अधिवक्ता हेमंत तिवारी ने कहा है कि भाजपा पार्षद और उनका परिवार फुन्दूरडीहरी गोधनपुर में 117 एकड़ सरकारी जमीन पर अवैध रूप से काबिज हैं। न्यायालय के स्थगन के बावजूद इस जमीन को एग्रीमेंट के आधार पर बेचा जा रहा है, जबकि कलेक्टर ने 26 मई 2014 से खरीद-बिक्री पर रोक लगा दी है। कलेक्टर को इसे संज्ञान में लेकर तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।