छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में साफ-सफाई मरम्मत के अभाव में नहऱो की हालत सरगुजा में बदतर

लखनपुर। सरगुजा की प्रथम सिंचाई परियोजना के रूप में आदिवासी लघु सीमांत किसानों के लिए सन 1976 से वरदान के रूप में देखे जाने वाले कुंवरपुर जला से विभागीय उच्चाधिकारियों की घोर उपेक्षा का शिकार है आसपास के किसानों का आरोप है कि निरीक्षण कुटीर बांध मेड बगीचा नहर मार्ग मुख्य नहर लखनपुर छोटी माइनर देखरेख साफ सफाई व्यवस्था के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही किया जाता रहा है।

विभाग से जानकारी लेने पर प्रतिवर्ष रखरखाव व मेंटेनेंस के नाम पर व कटाव रोकने शासन मद से खर्च तो किया जाता है पर इसका लाभ मैदानी स्तर पर नहीं दिखता किसानों ने बताया कि सप्लाई नहर के जगह जगह कटाव और खोह हो जाने कारण आधे से अधिक पानी किसानों को नहीं मिल पाता‌ मेंटेनेंस के नाम पर प्रतिवर्ष मजदूरी भुगतान की जानकारी तो बता दी जाती है परंतु व्यय कहां किया जाता है नहीं बताया जाता।

कुवरपुर बांध के मेड तथा छोटी माइनर मेड की स्थिति काफी खराब हो गई है। आसपास के किसानों ने बताया कि सन 1977-78 में जल संसाधन विभाग के कुछ जिम्मेदारअधिकारियों ने कुंवरपुर जलाशय क्षेत्र को किसानों के लिए धरती का सीना चीरकर सोना उपजाने का बेहतरीन अवसर मिलने की बात कही थी। ग्राम गुमगराकला बगदरी क्षेत्र में हर 15 दिवस में कंट्रोल रूम स्थापित कर कृषकों की समस्या निवारण शिविर का आयोजन कराना आरंभ कराया गया था अब उन नियमों पर गर्द जमे हुए हैं। उस समय के विभागीय अधिकारियो के तबादले के बाद मौजूदा वक्त के उच्चाधिकारियों ने व्यवस्था को क़ायम रखने में कोई रूचि नहीं दिखाई लिहाजा बांध निर्माण के कुछ वर्षो तक तो बनाये गये नियम कायदों का चलन जारी रहा बाद मे दस्तूर ही बदल गया। नियम कायदे समाप्त हो गये।

किसानों ने बताया जलाशय के निरिक्षण कुटीर आगे मंदिर मार्ग तक लगे स्ट्रीट लाइट बांध मेड में लगे रेलिंग व जाली चंद वर्षों के बाद ही असामाजिक तत्व व चोरों के चपेट में आने से नष्ट हो गया अब कुछ अवशेष बाकी है। कुंवरपुर जलाशय के नीचे फलता फूलता सदाबहार बगीचा तथा सुंदरता पर ऐसा ग्रहण लगा कि बनाया गया बगीचाआज सूखकर बंजर एवं विरानो में तब्दील हो कर रह गये।

अब बगीचा के सौन्दर्यता की धूधली धूधली सी यादें बाकी रह गया है।बनाये गए सारे नियम कायदे मिट गया। हेड से टेल तक पानी पहुंचाने की कथन कागज़ी साबित हो रहा है जबकि बांध मुख्य नहर में लाइनिंग पक्कीकरण का कार्य तो कुछ वर्षो पहले करा दिया गया है। परन्तु नहर साफ-सफाई के अभाव में गंतव्य तक बांध का पानी नहीं पहुंच पा रहा है। किसानों ने जिला प्रशासन एवं सम्बधित विभाग के आला अधिकारियों से पूर्व व्यवस्था की तरह बांध सड़कों नहर की मरम्मत की बागीचो की सौन्दर्यीकरण कराये जाने मांग की है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button