छत्तीसगढ़बलरामपुर

ऐसे कैसे दूर होंगा कुपोषण : युवक 160 बोरी अवैध रेडी टू ईट फूड की कर रहा था कालाबाजारी….

बलरामपुर |   प्रदेश सरकार कुपोषण दूर करने के लिए करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा रही है, लेकिन धरातल पर इसका परिणाम कुछ और दिखाई दे रहा है. नौनिहालों, गर्भवती माताओं, किशोरी बालिकाओं को दिया जाने वाला रेडी टू ईट का पाउडर अवैध तरीके से खपाने की तैयारी हो रही थी, जिसे ग्रामीणों के द्वारा पकड़ा गया है.

बता दें कि, बलरामपुर जिला मुख्यालय अंतर्गत जतरो पंचायत के हर्रा तांड गांव में बीती रात गांव के ही स्थानीय निवासी कन्हैया गुप्ता 160 बोरी अवैध रेडी टू ईट फूड अज्ञात पिकअप वाहन से गांव के जसबल सिंह के घर में चुपके से अनलोड कराकर मार्केट में खपाने की तैयारी में था. तभी गांव के ही लोगों के अवैध भंडारण और परिवहन की जानकारी लगी. जिसके बाद गांव वालों ने एकजुटता दिखाई और अवैध रूप से भंडारित किए गए रेडी टू ईट फूड को जब्त कर स्थानीय प्रतिनिधियों को सूचित किया.

वहीं घटना के बाद पंचायत के सरपंच और प्रतिनिधियों के द्वारा महिला बाल विकास अधिकारी को सूचना देकर मौके पर बुलाया गया और महिला बाल विकास अधिकारी के द्वारा अवैध रेडी टो ईट फूड को जब्त कर दोषियों के ऊपर कार्रवाई करने की बात कही. लोगों का कहना है कि कई दिन से इस तरह के काम को अंजाम दिया जा रहा था, लेकिन इस बार अपने मंसूबे पर कामयाब नहीं हो पाए और लोगों में काफी आक्रोश देखने को मिला.

महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी ने बताया कि, कुछ दिनों पूर्व से ही रेडी टू ईट वितरण की जिम्मेदारी बीज निगम को दी गई है. तब से या काम बीज निगम द्वारा किया जाता है हमारे द्वारा कार्यवाही कर पंचनामा बीज निगम को भेज दिया जाएगा.

वर्तमान छत्तीसगढ़ सरकार आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले नौनिहालों और गर्भवती माताओं के पोषण के लिए रेडी टू ईट फूड देती है. लेकिन रेडी टो ईट फूड का इस्तेमाल कुपोषण दूर करने की बजाय ठेकेदारों का जेब भरने का काम किया जा रहा है. अब ऐसे में देखना यह होगा कि प्रशासन इस तरह के लोगों पर इस तरह की कार्रवाई करती है.

पूरे मामले में गौर करने वाली बात यह है कि क्षेत्रीय विधायक बृहस्पति सिंह ने इस पूरे घटनाक्रम में विभागीय अधिकारियों पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं. क्योंकि ऐसे मामले बगैर अधिकारियों की संलिप्तता के करना संभव नहीं है. वहीं जिले के महिला बाल विकास अधिकारी जेआर प्रधान भी मामले में घिरते नजर आ रहे हैं. अब देखने वाली बात यह है कि प्रशासनिक स्तर पर ऐसे अधिकारियों पर भी क्या कार्रवाई की जाती है.

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