आरंगछत्तीसगढ़

राजीव गांधी किसान न्याय योजना से वंचित किसानों में आक्रोश , सी एम व कृषि मंत्री को ज्ञापन

आरंग । केंद्र सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त करने वाले किसानों के एक वर्ग को प्रदेश सरकार द्वारा संचालित राजीव गांधी किसान न्याय योजना का लाभ नहीं मिल रहा । बैंक का चक्कर काट रहे किसानों को जैसे – जैसे इनकी जानकारी मिल रही उनमें आक्रोश व्याप्त हो रहा है । शासन ने बीते खरीफ सत्र 2021से रेगहा / बटाईदार / लीजधारी किसानों सहित संस्थागत कृषकों को इस योजना के लाभ के लिये अपात्र घोषित कर दिया है । इसके अतिरिक्त अनेक पात्र वन पट्टाधारी किसानों सहित कई भूस्वामियों को भी तकनीकी कारणों के चलते इस योजना के तहत जारी दो किश्तें अब तक नहीं मिल पाया है । पूरे प्रदेश में ऐसे किसानों की संख्या तकरीबन 20 हजार के आसपास है ।
    ज्ञातव्य हो कि प्रदेश सरकार द्वारा किसानों से 2500 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से सोसायटियों के माध्यम से धान खरीदी की जा रही है । इस राशि में से केन्द्र सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य की राशि के बाद के अंतर की अतिरिक्त राशि प्रदेश सरकार द्वारा राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत फसल काश्त लागत की प्रतिपूर्ति कर कृषकों के शुद्ध आय में वृद्धि करने व कृषि को लाभ के व्यवसाय के रूप में पुनर्स्थापित करते हुये जी डी पी में कृषि क्षेत्र की सहभागिता में वृद्धि करने सहित अन्य उल्लिखित उद्देश्यों की पूर्ति हेतु प्रदान किया जाता है । यह योजना  15 जुलाई 2020 से राज्य शासन द्वारा अपने विभागीय पत्र के माध्यम से लागू की गयी है और इसके क्रियान्वयन हेतु विभागीय दिशा निर्देश बीते वर्ष के 29 मार्च को जारी कर खरीफ वर्ष 2021से लागू किया गया है । बीते खरीफ सत्र से लागू इस दिशा निर्देश के बाद पहली बार उपार्जित किये गये धान के लिये इस योजना के तहत  2 किश्त शासन द्वारा जारी किया जा चुका है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व कृषि मंत्री रवीन्द्र चौबे को मेल से प्रेषित ज्ञापन में किसान संघर्ष समिति के संयोजक भूपेन्द्र शर्मा ने बतलाया है कि जारी दिशा निर्देश के अनुसार रेगहा / बटाईदार / लीजधारी किसानों सहित संस्थागत कृषकों अर्थात        ट्रष्टों व पंजीयत समितियों को इस योजना के लाभ हेतु अपात्र घोषित कर दिया गया है । इन वर्गों के किसानों को बिना विश्वास में लिये व‌ इसके लिये उन्हें बिना तार्किक कारण बतलाये इस योजना के लाभ से उन्हें वंचित किये जाने से व्याप्त हो रहे आक्रोश को ओर ध्यानाकर्षण कराते हुये उन्होंने इस वर्ग को पात्र घोषित किये जाने पर भी शासन को कोई खास वित्तीय भार नहीं पड़ने व इस राशि को प्रदेश में बाहर से आकर बिकने वाले धान सहित राजस्व अमले से सांठगांठ कर पड़ती व अघोषित आबादी बन चुके कृषि भूमियों को काश्त दर्शावा निर्धारित सीमा से अधिक अपना अतिरिक्त धान बेचने वाले किसानों पर लगाम कसवाने से भरपायी हो सकने की जानकारी दी है । अनेक पात्र वन पट्टाधारी किसानों सहित कई भूस्वामियों को भी कृषि , राजस्व व एन आई सी‌ में तालमेल न होने व तकनीकी त्रुटियों की वजह से जारी किश्तों का भी अब तक भुगतान न होने की जानकारी देते हुये इसकी जिम्मेदारी तय कर दोषियों पर कार्यवाही करने व तालमेल बिठवा अविलंब भुगतान की व्यवस्था का आग्रह किया है । प्रभावित किसानों की संख्या तकरीबन 20 हजार के आसपास होने की जानकारी ज्ञापन में श्री शर्मा ने दी है ।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button