रायपुर। डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के रेडियोलॉजी विभाग के इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट डॉ. विवेक पात्रे एवं उनकी टीम ने मुंगेली की रहने वाली 40 वर्षीय महिला के गर्भाशय की गांठ के कारण हो रहे अत्यधिक रक्तस्त्राव को बिना चीर-फाड़ के यूटेराइन फाइब्राइड एम्बोलाइजेशन प्रोसीजर के जरिए ठीक किया।
यह मरीज गर्भाशय (बच्चेदानी) से बार-बार एवं ज्यादा खून बहने तथा बार-बार पेशाब होने की शिकायत के साथ चिकित्सालय के स्त्री रोग विभाग में पहुंची। स्त्री रोग विभाग में डॉ. ज्योति जायसवाल तथा डॉ. आभा डहरवाल द्वारा जांच करने के बाद महिला को सोनोग्राफी करवाने के लिए रेडियोलॉजी विभाग में भेजा गया जहां डॉ. विवेक पात्रे महिला की रिपोर्ट देखकर वस्तुस्थिति से अवगत हुए। रिपोर्ट में बच्चेदानी में क्रिकेट बाल के आकार की गांठ जिसे यूटेराइन फाइब्राइड कहते हैं, के होने की पुष्टि हुई।
मरीज की स्थिति देखकर प्रो. डॉ. विवेक पात्रे ने समय गंवाए बिना मरीज का एम्बोलाइजेशन प्रक्रिया के अंतर्गत उपचार किया जिसमें गर्भाशय को ब्लड सप्लाई करने वाली दोनों यूटेराइन आर्टरी (धमनी) को एम्बोलाइज (ब्लाॅक) कर दिया गया। उपचार प्रक्रिया के बाद महिला को अत्यधिक रक्तस्त्राव एवं इससे सम्बन्धित अन्य जटिलताओं से समय रहते राहत मिल गई।
डॉ. विवेक पात्रे ने बताया कि मरीज जब हॉस्पिटल आयी तब उसके पेट के निचले हिस्से या कमर में भारीपन, पीरियड्स के दौरान ऐंठन भरा तेज दर्द, कई दिनों तक हैवी ब्लीडिंग, पीरियड्स खत्म होने के बाद बीच में अचानक ब्लीडिंग, सहवास में दर्द, बार-बार यूरिन का प्रेशर महसूस होना आदि लक्षण थे। यूटेराइन फाइब्राइड एम्बोलाइजेशन उपचार के बाद मरीज बिल्कुल ठीक है तथा नियमित तौर पर फॉलोअप के लिए आ रही है।
डॉ. विवेक पात्रे के अनुसार, यूटेराइन फाइब्राइड के ज्यादातर केस में महिलाओं को अत्यधिक रक्तस्त्राव एवं दर्द की समस्या के साथ अस्पताल आना पड़ा इसलिए महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहना चाहिए तथा मासिक धर्म की अनियमितता होने पर तुरंत ही स्त्री रोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए। गर्भाशय की गांठ के कारण होने वाली विभिन्न समस्याओं को समय रहते इंटरवेंशनल प्रोसीजर के जरिये नियंत्रित किया जा सकता है।
गर्भाशय की गांठ होने का कारण
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रूचि किशोर गुप्ता के अनुसार, महिला के शरीर में मौजूद सेक्स हार्मोन, प्रोजेस्ट्रान और एस्ट्रोजन की अधिक मात्रा गर्भाशय की गांठ (यूटेराइन फाइब्राइड) की समस्या को जन्म देती है। इसके कारण कम उम्र यानी युवावस्था में फाइब्राइड होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है क्योंकि मेनोपॉज के बाद महिला के शरीर में इन दोनों हार्मोन की मात्रा घट जाती है। अगर आपके परिवार में किसी को फाइब्राइड की समस्या रही है तो आपको बेहद सतर्क रहना चाहिए।
ऐसे की जाती है प्रक्रिया
यूटेराइन फाइब्राइड एम्बोलाइजेशन, नान-कैंसरस ट्यूमर या फाइब्राइड को सिकोड़ने की एक प्रक्रिया है। इसमें बड़ी सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती है। एम्बोलाजेशन, फाइब्राइड के रक्त की आपूर्ति को अवरूद्ध करके फाइब्राइड को छोटा (संकुचित) कर देता है। एक बार जब रक्त की आपूर्ति समाप्त हो जाती है तो फाइब्राइड सिकुड़ जाते हैं। लगभग सभी फाइब्राइड ट्यूमर सौम्य प्रकृति वाले होते हैं अर्थात् कैंसर वाले नहीं होते हैं। एक सुई की नोक के बराबर छेद से यूटेराइन फाइब्राइड एम्बोलाइजेशन किया जाता है। इसमें फीमोरल आर्टरी के जरिये दोनों तरफ की यूटेराइन आर्टरी तक पहुंचा जाता है तथा एक विशेष पदार्थ के जरिए फाइब्राइड के खून के बहाव को बंद कर दिया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में बच्चेदानी को कोई नुकसान नहीं होता तथा वह सामान्य तरीके से कार्य करती रहती है।
एकदम स्वस्थ्य महसूस कर रही हूं
महिला सुनीता (परिवर्तित नाम) का कहना है कि अब इलाज के बाद एकदम स्वस्थ महसूस कर रही हूं, इसके पहले कई सारे हॉस्पिटल्स के चक्कर लगाई जहां सही इलाज नहीं मिल पाया लेकिन अम्बेडकर अस्पताल में बिना चीर फाड़ के इलाज पाकर काफी खुश हूं।
डॉ. भीमराव अम्बेडकर अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक तथा रेडियोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. एस. बी. एस. नेताम कहते हैं, अम्बेडकर अस्पताल का रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट काफी उत्कृष्ट है जहां पर कई बड़े प्रोसीजर बिना चीर-फाड़ के आसानी से हो रहे हैं। उपचार प्रक्रिया में शासन की स्वास्थ्य सहायता योजनाओं का लाभ भी मरीजों को मिल रहा है। विभाग में अब तक यूटेराइन फाइब्राइड एम्बोलाइजेशन के कई केस सफलतापूर्वक डॉक्टरों द्वारा किए गए हैं। इस उपचार प्रक्रिया के दौरान डॉ. त्रिलोकेश, डॉ. प्रेम चौधरी, डॉ. नितिन, डॉ. प्रियंका, एनेस्थेसिया विभाग से डॉ. ओमप्रकाश, नर्सिंग स्टॉफ महेश्वरी, तकनीशियन स्टाफ में देवेश, दीनबंधु, नरेश आदि उपस्थित रहे।