बिलासपुर | जिले के सहकारी केंद्रीय बैंक ने 354 ऐसे किसानों को धान बेचने के एवज में 70 लाख रुपए से अधिक का भुगतान कर दिया है, जिनकी मौत हो चुकी है। उन्हें राजीव गांधी न्याय योजना के तहत बोनस की पहली किस्त भी जारी कर दी गई है।
रायपुर के अधिकारियों ने दूसरी किश्त जारी करने के दौरान जब उन किसानों के बैंक की डिटेल खंगाली तब सामने आया कि उनकी मृत्यु हो गई है। अब इस किश्त के पैसे देने उनके वारिसों की तलाश की जा रही है। फिलहाल 700 प्रकरण में यह भुगतान विफल है और अभी तक किसी भी किसान के वारिस का नाम सामने नहीं आया है।
सहकारी बैंक के अधीन 3400 किसान पंजीकृत हैं। जिन्हें शासन की धान से जुड़ी अन्य सुविधा और राशि मिलने का लाभ मिल रहा है। उनमें ही 700 किसानों का फिलहाल कुछ भी अता पता नहीं है।
कृषि विभाग के स्थानीय अधिकारियों को जब रायपुर से इसकी जानकारी भेजी गई तो उन्होंने फिजीकल वेरीफिकेशन करवाया। उसकी सूची के मुताबिक ही इनमें 354 किसान ऐसे हैं, जिनकी मृत्यु हो चुकी है और उन्हें मौत के बाद भी उनके अकाउंट में धान और राजीव गांधी न्याय योजना की पहली किश्त जारी हो चुकी है।
हैरानी की बात यह है कि सहकारी बैंक के अधिकारियों के पास उन किसानों को कितने पैसों का भुगतान हुआ है, कितनी बोनस राशि जारी हुई है यह पता नहीं है। बैंक के अधिकारियों के मुताबिक सोसाइटियों ने इन किसानों को भुगतान किया है इसलिए सारा डेटा समितियों के पास ही उपलब्ध होने की बात कही जा रही है। बैंक में इस मामले से जुड़े अधिकारी सुशील चंद्राकर का कहना है कि समितियों के भरोसे पर ही इन पैसों का भुगतान किया गया है, क्योंकि किसानों की सारी जानकारी वहीं मौजूद होती है।
जिन्होंने धान बेचा वे एकाएक गायब सहकारी केंद्रीय बैंक के मुताबिक अब यह बात जरूरी नहीं है कि किसान ने धान बेचा या नहीं सिर्फ पंजीयन के आधार पर ही किसानों को बोनस जारी करने निर्देश है। इसलिए ही प्रति एकड़ पंजीकृत किसान को नौ हजार रुपए उनके अकाउंट में जारी किया जा रहा।
पूरे जिले में सात सौ किसानों को इसकी राशि नहीं मिली। उन्होंने धान जरूर बेचा, जिनका भुगतान हुआ, लेकिन जब फिजिकल वेरीफिकेशन की बात सामने आई तो उनका पता नहीं लग रहा है।
वारिसों की खोज जारी, फिर उन्हें उपलब्ध कराएंगे बोनस का पैसा
जिले में जिन 700 प्रकरणों में बोनस की राशि किसानों के अकाउंट में विफल बता रही उनमें साढ़े तीन सौ मामलों में किसानों की मृत्यु की बात तो सामने आ गई है। लेकिन बाकी ढाई सौ किसानों को क्यों बोनस की राशि नहीं मिली और उनकी क्या स्थिति है यह बात सामने नहीं आ पा रही।
ना तो कृषि विभाग के पास इसका डेटा है और ना ही सहकारी केंद्रीय बैंक के पास इनके आंकड़े। सिर्फ कयासों के आधार पर यह बात कही जा रही है कि संभवत: ढाई सौ किसानों का अकाउंट किसी कारण से बंद हो गया, जिसके चलते ही यह समस्या आ रही।