परसदा में मातर पर्व पर हुआ अखाड़े का शौर्य प्रदर्शन
तिल्दा नेवरा।
छत्तीसगढ़ में दीपावली पर्व के साथ ही गोवर्धन पूजा और भाई दूज का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. छत्तीसगढ़ में गोवर्धन पूजा के 1 दिन बाद यदुवंशी धूमधाम से मातर मनाते हैं. तिल्दा नेवरा से 4 कि. मी. के दूरी पर बसे गाव परसदा में पिछले कई दशकों से मातर की परंपरा यदुवंशी ठेठवार परिवार मनाते आ रहा है. आवाम दूत के पत्रकार ने मातर की परंपरा और इसके इतिहास को लेकर यदुवंशी ठेठवार परिवार से बातचीत किया है.
रघुनाथ यदु ने बताया “मातर पूर्वजों की ओर से जंगल में जाकर इस कार्य को किया जाता था. जंगल में कोई नहीं होने के कारण 1 देवी देवता की जरूरत होती थी. इस कार्य को पूरा करने के लिए फूडहर देवता की पूजा की जाती है. यह परंपरा पुरातन काल से चली आ रही. इस दिन गाय के बछड़े की पूजा की जाती है.”
यदुवंशी ठेठवार समाज ने बताया “हर साल मातर उल्लास के साथ मनाया जाता है. मुख्यता गौवंश के संवर्धन और पालन को जोड़ते हैं. यह पर्व कृषि संस्कृति और ऋषि संस्कृति से संबंध रखता है. इस दिन गौवंश के संवर्धन पर ज्यादा जोर दिया जाता है.”
दोहा पारकर मनाया जाता है मातर: रघु नाथ यदु ने बताया कि “दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा की जाती है. जिसमें अन्नकूट के साथ गायों की पूजा होती है. भाई दूज के दिन ठेठवार समाज के लोगों की तरफ से मातर का उत्सव मनाया जाता है. इस दौरान सभी स्वजाति बंधु एक दूसरे के घरों पर जाते हैं और देवता धामी में भी पूजा-अर्चना होती है. साथ ही गाजे बाजे के साथ दोहा पढ़ते हुए यह पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।